दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था देते हुए कहा कि सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत सीबीएसई परीक्षा में प्राप्त अंकों का खुलासा नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट का मानना है कि इससे बोर्ड की नई ग्रेडिंग व्यवस्था का उद्देश्य प्रभावित होगा।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एके सीकरी और जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ की खंडपीठ ने कहा कि ग्रेडिंग व्यवस्था लागू करने का उद्देश्य छात्रों को अंकों की जगह ग्रेड देना था। अंकों की जानकारी को आरटीआई के तहत सूचना नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इससे अंकों की जगह ग्रेड देने की व्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा।
खंडपीठ ने न्यायालय की ही एकल पीठ और केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के फैसले को दरकिनार करते हुए कहा कि एकल पीठ के न्यायाधीश और सीआईसी के निर्देश ग्रेडिंग व्यवस्था के तहत अंकों की जगह ग्रेड की व्यवस्था करने के उद्देश्य को प्रभावित करते है। दरअसल, आयोग और एकल पीठ ने एक छात्रा के अपने दसवीं बोर्ड की परीक्षा
के अंकों का खुलासा करने की मांग के बाद सीबीएसई को आदेश दिया था। एकल पीठ के आदेश के खिलाफ बोर्ड ने सीआईसी के समक्ष इसे चुनौती दी थी, जिसे आयोग ने बरकरार रखा था। इसके बाद बोर्ड ने कार्यकारी चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली डबल बेंच के सामने इसे चुनौती दी, जिसे स्वीकार कर लिया गया(दैनिक भास्कर,दिल्ली,28.5.12)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।