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31 मई 2012

डीयू में एसओएल से कॉलेजों में नहीं होगा माइग्रेशन

दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्राचार की पढ़ाई करने वाले छात्रों को अब रेगुलर कॉलेज में जाने का दरवाजा बंद हो सकता है। सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के बाद शैक्षणिक सत्र 2012-13 में स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग(एसओएल) के छात्रों को कॉलेज बदलने में तकनीकी दिक्कत आएगी। क्योंकि सेमेस्टर सिस्टम के तहत जहां कॉलेजों में कोर्स छह माह के भीतर पूरा किया जा रहा है, वहीं एसओएल में वार्षिक माध्यम के तहत साल भर के बाद ही कोर्स समाप्त करने की सुविधा है। 

डीयू में माइग्रेशन दूसरे साल में होता है। दरअसल, पिछले साल सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया था। जिसके बाद अब रेगुलर कॉलेज में दूसरे साल की पढ़ाई करने वाले छात्र भी सेमेस्टर सिस्टम के तहत पढ़ाई करेंगे। मालूम हो कि डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निग (एसओएल) और नॉन कालेजिएट कॉलेजों में अभी भी वार्षिक मोड के तहत ही पढ़ाई होती है। कॉलेजों का सिलेबस सेमेस्टर सिस्टम के तहत तैयार किया गया है। जबकि एसओएल और नॉन कालेजिएट कॉलेजों का सिलेबस वार्षिक सिस्टम के तहत है। इसके अलावा एसओएल में आंतरिक आंकलन नहीं होता है। जबकि रेगुलर कॉलेजों में छात्रों को आंतरिक आंकलन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। जानकारों की माने तो एसओएल और नॉन कॉलेजिएट में दाखिला लेने वाले छात्र और छात्राओं के लिए माइग्रेशन की कोई नई व्यवस्था बनानी पड़ेगी। 

इस संबंध में डीयू के डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. जे.एम. खुराना का कहना है कि इन दिक्कतों को दूर करने के लिए नीति बनाने पर विचार किया जाएगा। हालांकि माइग्रेशन पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं किया गया है। गौरतलब है कि हर साल रेगुलर कॉलेजों में दाखिला नहीं मिलने की स्थिति में अधिकांश छात्र एसओएल में दाखिला ले लेते हैं और दूसरे साल वे माइग्रेशन लेकर किसी रेगुलर कॉलेज में चले आते हैं। लेकिन पिछले साल एसओएल में दाखिला लेने वाले छात्रों को इस साल माइग्रेशन की परेशानी सताने लगी है। 

ऐसी होगी प्रक्रिया 
दूसरे वर्ष की पढ़ाई करने वाले छात्र अगर एसओएल से रेगुलर कॉलेज या एक रेगुलर कॉलेज से दूसरे कॉलेज में जाना चाहते है, तो उन्हें सबसे पहले जहां जाना चाहते हैं। उस कॉलेज से एनओसी लेनी होती है। इस एनओसी के आधार पर वर्तमान कॉलेज या एसओएल से माइग्रेशन प्रमाण पत्र मिलता है(जयप्रकाश मिश्र,हिंदुस्तान,दिल्ली,28.5.12)।


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