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28 मई 2012

सफलता आपके भीतर है

हर एक चीज हमारे अंदर मौजूद है, बाहर नहीं। मस्तिष्क सभी शक्तियों का उद्गम है। वास्तव में, मस्तिष्क ही मनुष्य है। शरीर मस्तिष्क का वाहक और उसका कार्यकर्ता भी है। अपने वाहक शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाए रखना आपके मस्तिष्क की इच्छा पर निर्भर करता है। जैसा मस्तिष्क वैसा ही शरीर होगा। ईश्वर ने मानव मस्तिष्क को असीम शक्तियां प्रदान कर रखी हैं,किसी भी मनुष्य के लिए अपने मस्तिष्क के अंदर ही अपनी शक्तियों को खोजना सबसे बड़ी चुनौती है। सपने और वास्तविकताएं दोनों सिर्फ मानव मस्तिष्क में ही मौजूद होते हैं। आप अपने जीवन में जो कुछ हासिल करना चाहते हैं, सबसे पहले आपके मस्तिष्क द्वारा ग्रहण किया जाता है और उसे कैसे हासिल किया जाए, इसके लिए तब आपका मस्तिष्क योजना बनाता है और उसके लिए परिस्थितियों का निर्माण करता है। बाद में जब आप उसे हासिल कर लेते हैं तब सिर्फ आपका मस्तिष्क की आप की उपलब्धियों का इस्तेमाल करता है और इंज्वाय करता है। इस प्रकार सफलताओं, उपलब्धियों और प्रसन्नता के सभी खजाने केवल आपके मस्तिष्क में ही मौजूद होते हैं। 

आपका मस्तिष्क आपकी सोच का परिणाम होता है। आप अपनी पांच इंद्रियों से जो कुछ भी ग्रहण करते हैं, वे अच्छा या बुरा के रूप में आपकी सोच द्वारा फिल्टर किए जाते हैं जो बाद में आप के अवचेतन मन मस्तिष्क में आपके अनुभवों के रूप में रिकॉर्ड होता जाता है। ये अनुभव आपकी याद्दाश्त का सृजन करते हैं और यही याद्दाश्त फिर आपकी सोच और परसेप्शन को प्रभावित करते हैं। जो कुछ भी आप हैं वह सब आपकी सोच का परिणाम होता है। 

वास्तव में, सफलता के रहस्य मनुष्य के विचारों में निहित होते हैं। विचार कमजोर व्यक्तियों को मजबूत और मजबूत व्यक्तियों को कमजोर बना देते हैं। प्रत्येक शब्द, जिसे आप सोचते हैं, गाड़ी चलाते हैं, बस पकडऩे के लिए दौड़ते हैं, ये भी आप के विचार की उपज हैं। अपने जीवन में आपके लिए गए प्रत्येक कदम के पीछे,भले ही वह रिलेक्स जैसे कार्य ही क्यों न हों, जो अनिवार्य एवं शक्तिशाली बल होता है वह आप का विचार होता है। जैसे आप चलते हैं, जैसा आप जीवन व्यतीत करते हैं, आप की बातचीत, पोशाक पहनने का अपना तरीका, सभी आपकी सोच को प्रतिबिंबित करते हैं। 

जैसा आप अंदर से होते हैं वैसा ही आप बाहर प्रदर्शित करते हैं। आप अपने विचारों, जैसे आप अपने को मानते हैं कि आप क्या हैं, के उत्पाद होते हैं। सभी संपत्तियों, सभी सफलताओं, समस्त भौतिक प्राप्तियों, सभी खोजों एवं आविष्कारों तथा समस्त उपलब्धियों का मौलिक स्रोत हमारे विचार होते हैं। आपके विचार या तो आप को बना सकते हैं या बिगाड़ सकते हैं। बाइबिल कथन के मुताबिक मनुष्य वही काटेगा जो वह बोयेगा। यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह बोना कहीं और नहीं बल्कि सोचने की प्रक्रिया के माध्यम से केवल मस्तिष्क में होता है। आपकी अभिवृत्ति, व्यवहार और कार्य आपकी सोच के परिणाम होते हैं। उनके हाथ मात्र उनके मस्तिष्क के सहायक थे। इसलिए आपको अपने लक्ष्य के प्रति निर्देशित सोच को सृजित करने के कौशल को मांजने के लिए प्रतिदिन अच्छा-खासा समय व्यतीत करना चाहिए। यह आप के मस्तिष्क को सशक्त बनायेगा और आपके सपने को साकार करने के लिए सहायक परिस्थितियों का निर्माण करेगा(ए.के. मिश्रा,शिक्षालोक,दैनिक ट्रिब्यून,15.5.12)।

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