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29 मई 2012

आंध्रप्रदेशःओबीसी कोटे में मुस्लिम आरक्षण कोर्ट में खारिज

ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) कोटे के अंदर अल्पसंख्यकों को 4.5 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अदालत का कहना है कि यह सब-कोटा देने का फैसला धार्मिक वजहों से लिया गया था। इसके पीछे और कोई आधार नहीं था। 

केंद्रीय शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण तय है। पिछले साल दिसंबर में सरकार ने ऑफिस मेमोरेंडा (ओएम) जारी करके ओबीसी कोटे के अंदर अल्पसंख्यकों को आरक्षण का प्रस्ताव किया था। सोमवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने इस ऑफिस मेमोरेंडा को रद्द कर दिया। 

हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को जिस तरह हल्के में लिया, उससे हम खुश नहीं हैं। धार्मिक अल्पसंख्यकों का अति पिछड़ा वर्ग या एक-जैसे ग्रुप के रूप वर्गीकरण क्यों किया गया, यह साबित करने के लिए असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल कोई सबूत नहीं दिखा पाए। ऐसे में हमारा मानना है कि मुस्लिम, क्रिश्चन, सिख, बौद्ध और पारसी एक जैसे नहीं बल्कि अलग-अलग ग्रुप हैं। 

आंध्र के पिछड़ी जाति के नेता आर. कृष्णैया की याचिका पर हाई कोर्ट ने कहा कि 22 दिसंबर 2011 को जारी ओएम में कहा गया है कि 4.5 फीसदी का यह उप-आरक्षण सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों के लिए है। इसी दिन जारी रिजॉल्यूशन और दूसरे ओएम के जरिए अल्पसंख्यकों के लिए सब-कोटा बना दिया गया। कोर्ट ने कहा कि 'अल्पसंख्यकों से संबंधित' और 'अल्पसंख्यकों के लिए' जैसे शब्द दिखाते हैं कि सब-कोटा धार्मिक आधार पर तैयार किया गया(नवभारत टाइम्स,हैदराबाद,29.5.12)।

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