हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की लापरवाही से सैकड़ों (ज्वाइंट र्सिच फेलो) जेआरएफ छात्रों की स्कॉलरशिप और असिस्टेंट प्रोफेसर्स की प्रमोशन पर संकट खड़ा हो गया है। यूनिवर्सिटी की कार्यकारी परिषद में पीएचडी गाइड्स को लेकर लिया गया फैसला करीब पांच महीने बाद भी लागू नहीं हो पाया है। छात्रों के अनुसार यूनिवर्सिटी की कार्यकारी परिषद ने पांच महीने पहले कॉलेज प्राध्यापकों को पीएचडी गाइड बनाने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी। इसके तहत फैसला लिया गया था कि यूनिवर्सिटी शिक्षकों के अलावा अब अनुभवी कॉलेज प्राध्यापक भी पीएचडी गाइड
बन सकेंगे।
भटक रहे छात्र
ईसी में प्रस्ताव को मंजूरी तो मिल गई लेकिन अभी तक इसकी अधिसूचना कॉलेजों को जारी नहीं की गई है। कॉलेज प्राध्यापक अधिसूचना का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, छात्र पीएचडी गाइड न मिलने से भटक रहे हैं। गाइडों की कमी से जूझ रहे यूनिवर्सिटी के 92 छात्रों की स्कॉलरशिप अधर में लटक गई है। छात्रों का करीब दो करोड़ रुपया अभी भी जारी नहीं हो पाया है। लोक प्रशासन विभाग के विजय, एमकॉम के सुरजीत और पल्लवी का कहना है कि उन्हें अभी तक स्कॉलरशिप नहीं मिल सका है।
प्रमोशन में अड़ंगा
कॉलेज कैडर प्राध्यापकों के एसोसिएट प्रोफेसर बनने की राह में भी अड़ंगा खड़ा हो गया है। यूजीसी नियमों के अनुसार सिर्फ वही सहायक प्राध्यापक यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बनने के योग्य होता है जिसके पास रिसर्च या पीएचडी गाइड का अनुभव हो। इन प्राध्यापकों ने पीएचडी तो कर रखी है लेकिन यूनिवर्सिटी की ओर से इन्हें गाइड बनने की अनुमति नहीं है। ऐसे में बिना गाइड के ये प्राध्यापक एसोसिएट प्रोफेसर बनने के अयोग्य हो गए हैं।
लैप्स हो जाएगी लाखो की स्कॉलरशिप
जेआरएफ छात्र को प्रतिमाह 16 हजार रुपए की स्कॉलरशिप दी जाती है। यह स्कॉलरशिप पांच साल तक दी जाती है। इसके लिए छात्र को परीक्षा पास करने के दो साल के भीतर पीएचडी में इनरोलमेंट लेनी पड़ती है। यदि छात्र दो साल के भीतर पीएचडी में एडमिशन नहीं ले पाता है तो उसकी स्कॉलरशिप लैप्स हो जाती है। पिछले साल रिकॉर्ड 162 छात्रों ने नेट, जेआरएफ की परीक्षा पास की थी। वर्ष 2010 में 152 छात्रों ने यह परीक्षा पास की थी। 92 छात्रों की स्कॉलरशिप पहले ही लटक चुकी है वहीं अन्य छात्रों की स्कॉलरशिप पर भी संकट खड़ा हो गया है(अशोक चौहान,दैनिक भास्कर,शिमला,5.6.12)।
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