बसपा सरकार में हुए घपलों-घोटालों की कड़ी में अब संस्कृत शिक्षकों की भर्ती में हुई धांधली का मामला भी शामिल हो गया है। पूरे प्रदेश में लगभग डेढ़ हजार पदों के लिए हुई इस भर्ती में अधिकारियों ने मनचाहे लोगों को नियुक्तियां दीं। लखनऊ मंडल में तो साक्षात्कार के नंबर पेंसिल से दिए गए ताकि बाद में उन्हें मिटाकर बदला जा सके। पूरे मामले पर कार्रवाई के लिए शिक्षा निदेशक वासुदेव यादव ने शासन को रिपोर्ट भेजी है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद के विभिन्न स्कूलों में रिक्तियों के लिए साक्षात्कार पिछले साल हुआ था। इसके लिए मंडल स्तर पर बनी चयन समिति का अध्यक्ष संयुक्त शिक्षा निदेशकों को बनाया गया था। साक्षात्कार पूरा होते ही गोरखपुर, बस्ती, फैजाबाद, देवी पाटन, आजमगढ़ आदि मंडलों से साक्षात्कार प्रक्रिया को लेकर शिकायतें आने लगी थीं। कुछ लोगों ने हाईकोर्ट की भी शरण ले ली थी। लखनऊ में भी साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी हुई, लेकिन बाद में तत्कालीन शिक्षा निदेशक ने बिना अनुमति के परिणाम घोषित करने पर रोक लगी दी थी। इसके बाद चुनाव आचार संहिता लागू कर दी गई और परिणाम अधर में लटक गया। प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद माध्यमिक शिक्षा सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा के सामने कुछ लोगों ने लखनऊ में साक्षात्कार प्रक्रिया को लेकर शिकायतें की। इस पर उन्होंने संयुक्त शिक्षा निदेशक से जांच कराने का आदेश दिया। जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि चयन समिति के अधिकांश सदस्यों ने साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों को पेन से नंबर न देकर पेंसिल से नंबर दिए हैं। कई सदस्यों ने इस बात को स्वीकार भी किया और कहा कि इसके लिए उन्हें निर्देशित
किया गया था। सिर्फ इतना ही नहीं साक्षात्कार के बाद पत्रावलियों को सील भी नहीं किया गया, जबकि नियमत: चयन समिति के सदस्यों की मौजूदगी में ही पत्रावलियों को सील कर दिया जाना चाहिए था। यह गंभीर अनियमितता थी जिससे यह जाहिर होता था कि अधिकारियों की मंशा बाद में अपने हिसाब से मेरिट तैयार कराने की थी। लखनऊ मंडल के 45 पदों के लिए 1805 लोगों ने आवेदन किया था। तत्कालीन शिक्षा निदेशक ने इनके चयन के लिए उस समय संयुक्त शिक्षा निदेशक, लखनऊ रहे केके गुप्ता की अध्यक्षता में समिति का गठन कर दिया था जिसमें उप निरीक्षक संस्कृत पाठशालाएं रेखा रानी अग्रवाल के अलावा विषय विशेषज्ञ के रूप में उपेंद्र कुमार मिश्र, राममूर्ति मिश्र व लखनऊ और रायबरेली के जिला विद्यालय निरीक्षक, डायट लखनऊ के उप प्राचार्य व वित्त एवं लेखाधिकारी एसके वर्मा सदस्य बनाए गए थे। सितंबर और अक्टूबर में कई चरणों में साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी की गई। लखनऊ की जांच में धांधली की पुष्टि होने के बाद अन्य मंडलों में हुए नियुक्तियों पर भी सवालिया निशान लग गए हैं। फिलहाल पूरी जांच रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी गई है(हरिशंकर मिश्र,दैनिक जागरण,लखनऊ,4.6.12)।
आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 29/5/12 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |
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