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04 जून 2012

यूपीःशिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं नामी शिक्षण संस्थान

कई राज्यों में सरकारी प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी तो है, लेकिन देश शिक्षा को क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले श्रेष्ठ गुरुकुल भी गुरुजनों के अभाव का सामना कर रहे हैं। मैनेजमेंट की दुनिया में स्वनामधन्य भारतीय प्रबंध संस्थान (आइआइएम) हों या तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में लब्धप्रतिष्ठ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) या फिर भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइआइटी), शिक्षकों की कमी का रोना सभी रो रहे हैं। विडंबना ही है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 39 प्रतिशत पद खाली हैं। भारतीय प्रबंध संस्थानों में अध्यापकों के 17 प्रतिशत, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में 32 प्रतिशत, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों में 46 प्रतिशत, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में 35 प्रतिशत तथा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइआइएसईआर) में अध्यापकों के 25 प्रतिशत पद रिक्त हैं। राज्य के विश्वविद्यालयों में भी शिक्षकों के 40 से 50 फीसदी पद खाली हैं। देश की शिक्षा व्यवस्था पर यह बड़ा सवाल है। स्थिति तब है जब शिक्षकों की कमी की समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 65 वर्ष करने के साथ ही सेवानिवृत अध्यापकों को 70 वर्ष की आयु तक फिर से नियुक्त करने की व्यवस्था की गई है। शिक्षकों की कमी को दूर करने के मकसद से अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने बीटेक की योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को तीन वर्ष की सीमित अवधि तक तदर्थ शिक्षक के रूप में नियुक्त करने की छूट दे दी है। इस शर्त के साथ कि तीन वर्ष की अवधि में वे परास्नातक की योग्यता हासिल कर लेंगे। एआइसीटीई ने न सिर्फ इंजीनियरिंग संस्थानों में दूसरी पाली चलाने की अनुमति दे दी बल्कि परास्नातक पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या भी बढ़ा दी। इतने जतन के बाद भी उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी की समस्या बरकरार है। देश में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा का हाल भी बुरा है। राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक शिक्षा के अधिकार कानून को अमली जामा पहनाने के लिए देश में शिक्षकों के 12.6 लाख मौजूदा रिक्त पदों के अलावा पांच लाख अतिरिक्त शिक्षकों की भर्ती की जरूरत होगी। इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार 12वीं पंचवर्षीय योजना में शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरू करने की कवायद में जुट गई है(राजीव दीक्षित,दैनिक जागरण,लखनऊ,4.6.12)।

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