वेतन समिति की सिफारिशों को मानते हुए प्रदेश सरकार ने कई विभागों की वेतन विसंगतियों को दूर कर दिया है। इसके अलावा वरिष्ठ लेखा परीक्षा बनने की विभागीय अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया गया है। न्यायिक अधिकारियों के लिए चिकित्सा भत्ता और पोशाक भत्ता भी तय कर दिया गया है। गुरुवार को हुई मंत्रि परिषद की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई।
सूत्रों के अनुसार परिवार कल्याण विभाग के तहत जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को अब 4200 के ग्रेड पे के स्थान पर 4600 ग्रेड पे मिलेगा। इसके साथ ही राज्य एवं परिवार कल्याण संस्थान की सेवा नियमावली भी बनाई जाएगी। प्रदेश के चिकित्सा विश्वविद्यालय, होम्योपैथी, एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और यूनानी मेडिकल कालेज में तैनात कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को भी दूर किया गया है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश वित्त एवं लेखा सेवा स्थानीय लेखा परीक्षा काडर में उप निदेशक (6600 ग्रेडपे) के चार पदों में एक पद को संयुक्त निदेशक के 7600 वाले ग्रेड पे के एक पद में तब्दील किया जाएगा। 5400 ग्रेड पे में सहायक निदेशक के 44 पदों में सोलह पदों को उप निदेशक नाम मिलेगा। 4800 ग्रेड पे में जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के 65 पदों को तथा 5400 ग्रेड पे के सहायक निदेशक के 28 पदों को मिलाकर सम्मिलित संवर्ग बनेगा। इनके लिए कंप्यूटर में ओ लेवल डिप्लोमा जरूरी कर दिया गया है। सरकार ने इसी क्रम में वरिष्ठ लेखा परीक्षक वर्ग में 4200 ग्रेडपे वाले पदों के लिए विभागीय परीक्षा का अनिवार्यता खत्म कर दी है। सहायक लेखा परीक्षक को अब 4600 के स्थान पर 4800 ग्रेडपे
दिया जाएगा। सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर वरिष्ठ लेखा परीक्षकों से शत प्रतिशत प्रोन्नति की व्यवस्था बहाल की जाएगी। सहकारी समितियों व पंचायत संगठन के तहत उप मुख्य लेखा परीक्षक 6600 रुपये के ग्रेडपे के पदों में एक प नद को संयुक्त मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी में प्रोन्नत किया है।
कैबिनेट ने उच्चतर न्यायिक सेवा नियमावली को भी मंजूरी दे दी है। यह नियमावली न्यायिक अधिकारियों को प्रोन्नति देने के लिए बनाई गई है। न्यायिक अधिकारियों के लिए चिकित्सा भत्ता, पोशाक भत्ता एवं सेवक भत्ते को भी मंजूरी दी गई है(दैनिक जागरण,लखनऊ,9.6.12)।
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