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02 जून 2012

छत्तीसगढ़ःएम्स परीक्षा बनी मजाक

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में डॉक्टरी की पढ़ाई करने के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा को प्रबंधन ने मजाक बना दिया। 10.30 बजे शुरू होने वाली परीक्षा के लिए उम्मीदवारों को सुबह 8 बजे से बुला लिया गया। गेट के बाहर सुबह से धूप में खड़े कुछ बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। छात्राएं तो बेहोश तक हो गई थी। परिजनों के हंगामे के बाद गेट खोला गया। परीक्षा के बारे में स्थानीय पुलिस तक को सूचित नहीं किया गया था। इस वजह से परीक्षा के दौरान पुलिस का इंतजाम भी नहीं था। 

खमतराई स्थित केंद्रीय विद्यालय के सेंटर में सबसे ज्यादा अव्यवस्था थी। छात्र-छात्राओं को सुबह 8 बजे रिपोर्टिग के लिए बुला तो लिया गया था, लेकिन परिसर इंट्री नहीं दी गई। चार-दीवारी के बाहर रोड पर छात्र-छात्राएं दो-ढाई घंटे तक धूप में खड़े रहे। बाहर किसी तरह का शेड नहीं है। पेड़ भी इतने घने नहीं हैं कि उसकी छांव में खड़े रहकर धूप से बचा जा सकता था। सुबह से तेज गर्मी पड़ने के कारण उम्मीदवार परेशान हो गए। ज्यादातर बच्चों ने परीक्षा के लिए पूरी रात जागकर पढ़ाई की थी। 

ऐसी स्थिति में धीरे-धीरे उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। आखिरकार दो छात्राएं बेहोश होकर गिर पड़ीं। उसके बाद परिजनों का गुस्सा फूटा। अभिभावक केंद्रीय विद्यालय प्रबंधन और परीक्षा आयोजित करने आए अधिकारियों पर भड़क गए और हंगामा किया। उसके बाद केंद्रीय विद्यालय का गेट खोलकर उम्मीदवारों को इंट्री दी गई। रिपोर्टिग भी उसके बाद ही की गई। 

एक टेबल पर दो उम्मीदवार बैठाए गए और एक ही सेट दे दिया हल करने को 
आमतौर पर प्रतियोगी परीक्षाओं में एक टेबल पर एक ही परीक्षार्थी को बिठाया जाता है। केंद्रीय विद्यालय के सेंटर में एक टेबल पर दो उम्मीदवारों को बिठाया गया था। परीक्षा के दौरान नकल को रोकने के लिए पर्चो के अलग-अलग सेट रहते हैं। एक साथ बैठने वाले उम्मीदवारों को कभी एक ही सेट का पर्चा नहीं दिया जाता। एम्स में प्रवेश के लिए आयोजित परीक्षा में केवल एक ही सेट रखा गया था। इसे लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। 

मुन्नाभाइयों को रोकने कोई इंतजाम नहीं 
परीक्षा के दौरान मुन्ना भाइयों को पकड़ने या रोकने के लिए कोई विशेष सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए थे। उम्मीदवारों की वीडियोग्राफी नहीं करवायी गई। परीक्षा हॉल में अंगूठे का निशान भी नहीं लिया गया। उम्मीदवारों के केवल प्रवेश पत्रों की जांच की गई। यह प्रवेश पत्र भी इंटरनेट पर जारी किए गए थे(दैनिक भास्कर,रायपुर,2.6.12)।

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