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09 जून 2012

आईआईएम,इंदौर के डायरेक्टर पर गंभीर आरोप

आईआईएम इंदौर के सात प्रोफेसरों द्वारा अभद्र व्यवहार के मामले में डायरेक्टर को कोर्ट में लाने के बाद एक नया विवाद हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ पहुंच गया है। विदेशी ट्रेनिंग प्रोग्राम में भेजने में हो रहे वरिष्ठता क्रम के उल्लंघन को लेकर एक सीनियर प्रोफेसर ने कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई है। कोर्ट ने दो सप्ताह में डायरेक्टर को जवाब पेश करने का आदेश दिया है। आईआईएम में कार्यरत सीनियर प्रोफेसर डॉ. डी. एल. सुंदर ने डायरेक्टर एन. रविचंद्रन के खिलाफ 18 मई को परिवाद दायर किया कि श्री रविचंद्रन वरिष्ठता क्रम का उल्लंघन कर उन्हें हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के ट्रेनिंग प्रोग्राम में न भेजकर अपने चहेते प्रोफेसरों को भेज रहे हैं, जो संस्थान के नियमों के खिलाफ है। जस्टिस एन.के. मोदी की कोर्ट ने डायरेक्टर को आदेश दिया था कि प्रोफेसर की शिकायत सुनें और दो सप्ताह में निराकरण कर जवाब पेश करें। उक्त आदेश को लेकर गुरुवार को श्री रविचंद्रन की ओर से रिव्यू पिटीशन पेश की गई। पिटीशन में डायरेक्टर की ओर से कहा गया कि जवाब पेश करने के लिए उन्हें और वक्त दिया जाए। जस्टिस मोदी की कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन को लेकर यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया कि यह इमरजेंसी मामला नहीं है। इसलिए कोर्ट इस पर छुट्टियों के बाद (17 जून) सुनवाई करेगी। रिव्यू पिटीशन पर कोर्ट ने विचार नहीं किया है, इसलिए हाई कोर्ट का पुराना आदेश ही लागू रहेगा। इसके तहत दो सप्ताह के अंदर जवाब पेश नहीं करने पर कोर्ट की अवमानना का केस डायरेक्टर के खिलाफ बन सकता है। डॉ बी.एल. सुंदर की ओर से पैरवी एडवोकेट राहुल सेठी के की, जबकि श्री रविचंद्रन की ओर से रिव्यू पिटीशन एडवोकेट ए.के. चितले ने पेश की। गौरतलब है कि एक अन्य मामले में डायरेक्टर पर सात प्रोफेसरों ने गाली-गलौज और अभद्र व्यवहार करने की याचिका दायर की है। उस पर कोर्ट ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को जांच के आदेश दिए हैं(दैनिक भास्कर,इंदौर,8.6.12)।

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