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12 जून 2012

डीयू दाखिलाःऑनलाइन आवेदन के चलते चढ़ेगा कट-ऑफ का पारा

दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले की दौड़ में ऑनलाइन आवेदन की सुविधा ने जहां प्रक्रिया को आसान बनाया है वहीं इस सुविधा ने ही छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा को और कड़ा कर दिया है। 

डीयू में दाखिले के लिए पहली बार शुरू हुए ऑनलाइन आवेदन जरिए पहले एक हफ्ते में ही 65 हजार से ज्यादा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। जबकि ऑफलाइन फॉर्म की बिक्री का आंकड़ा भी एक लाख के करीब है। हालांकि जमा किए गए फॉर्म की संख्या अभी 35 हजार के आसपास ही है। 

कुलपति प्रो. दिनेश सिंह का कहना है कि न सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक में डीयू अपनी एक अलग पहचान कायम कर चुका है ऐसे में यहां दाखिले के इच्छुक हर छात्र को मौका देने के उद्देश्य से ऑनलाइन आवेदन की सुविधा दी गई है। प्रो. सिंह ने कहा कि इस सुविधा के इस्तेमाल से देश के किसी भी कोने से छात्र अपने घर बैठे ही डीयू में दाखिले के लिए आवेदन कर सकता है। उन्हें ओएमआर फॉर्म भरने के लिए विश्वविद्यालय का रुख करने की जरूरत नहीं है। विश्वविद्यालय इंफॉर्मेशन सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार रोजाना ऑनलाइन आवेदन को लेकर सैकड़ों कॉल्स दिल्ली के बाहर से आती है। मुंबई से कॉल करने वाली एक ऐसी ही छात्र से जब पूछा गया कि वह डीयू क्यों आना चाहती है तो उनका कहना था कि एसआरसीसी का खूब नाम सुना है और यदि कटऑफ में नंबर आ गया और हॉस्टल मिल जाता है तो वह डीयू में पढ़ेगी। 

दाखिला प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों की माने तो बीते सालों के मुकाबले इस बार टॉप कॉलेजों में दाखिलों को लेकर जबर्दस्त कम्पीटिशन देखने को मिलेगा। वजह है कि आवेदन प्रक्रिया के लिए व्यक्तिगत तौर पर कैम्पस आने की अनिवार्यता ऑनलाइन आवेदन के चलते खत्म हो गई है। 

कश्मीर से कन्याकुमारी तक देशभर से लगातार ऑनलाइन आवेदन आ रहे हैं। डीयू अधिकारियों व कॉलेज प्रिंसिपलों की माने तो आवेदन की ऑनलाइन सुविधा के चलते इस बार कटऑफ निर्धारण बहुत सोच समझ कर करना होगा क्योंकि ऑफलाइन ओएमआर में हर आधा फीसदी के अंतर 10 से 20 छात्र आते थे तो इस बार यह संख्या दोगुना तक बढ़ सकती है। 

मेल-फीमेल का फर्क नहीं समझ पा रहे हैं छात्र 
ग्रेजुएशन में दाखिले के लिए बारहवीं में आसमान छूती अंक प्रतिशत पाने वाले छात्र-छात्राएं दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉमन प्री-एडमिशन फॉर्म में खूब गलतियां कर रहे हैं। छात्र-छात्राओं की ओर से की जा रही गलतियों में वह बोर्ड का रोल नंबर, रिजल्ट का मौजूदा स्टेट्स (पास, कम्पार्टमेंट या रिजल्ट घोषित नहीं), बारहवीं में पढ़े विषयों के कोड और तो और बोर्ड का नाम तक छात्र सही नहीं भर रहे हैं। जानकर हैरानी होगी कि बारहवीं पास छात्र-छात्राएं न सिर्फ मेल-फीमेल का कॉलम गलत भर रहे है बल्कि छात्र छात्राओं के कॉलेजों में दाखिले के लिए विकल्प भरते नजर आ रहे हैं(दैनिक भास्कर,दिल्ली,11.6.12)।

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