दो हफ्ते पहले नए कंपनी बिल ने कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) को अनिवार्य बना दिया है। इसके तहत कंपनियों को नेट प्रॉफिट का 2 फीसदी सोशल वेलफेयर पर खर्च करना होगा। इससे सीएसआर के इंडिपेंडेंट स्ट्रीम के रूप में उभरने की उम्मीद है।
कुछ कंपनियां सीएसआर में ज्यादा इंडिपेंडेंट प्रफेशनल लोगों को शामिल करने के लिए मौजूदा प्रोग्राम को रिव्यू कर रही हैं। इससे कॉम्पिटिटिव सैलरी, जॉब क्रिएशन और टॉप पर ज्यादा ताकतवर प्रफेशनल की जरूरत पैदा होगी। मैरिको के सीएफओ मिलिंद सरवटे ने कहा, 'इस अमेंडमेंट से इंडिया में सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी सेक्टर को ज्यादा कॉर्पोरेट अटेंशन अट्रैक्ट करने में मदद मिलेगी। इससे फाइनैंशल और ह्यूमन कैपिटल में ज्यादा इन्वेस्टमेंट होगा।'
एस्सार ग्रुप के प्रेज़िडेंट (एचआर) आदिल मलिया ने कहा, 'अगर शुरुआत में टॉप पर थोड़ी हलचल देखने को मिलती है, तो भी आखिरकार इससे कॉर्पोरेट्स में सीएसआर की बड़ी टीम बनेगी। ब्रांड स्ट्रैटिजी के साथ सीएसआर को अजस्ट करने पर पिरामिड के टॉप पर ज्यादा जॉब्स क्रिएट होंगे।' हालिया घटनाक्रम के बाद डाबर अपने मौजूदा सीएसआर प्रोग्राम को रिव्यू कर रही है। कंपनी के एग्जेक्युटिव डायरेक्टर (एचआर) ए सुधाकर ने कहा कि अगर कंपनी को मौजूदा प्रोग्राम को बढ़ाने की जरूरत महसूस होती है, तो वह और प्रफेशनल्स हायर करेगी।
जो कंपनियां ऐवरेज नेट प्रॉफिट का 2 फीसदी सीएसआर पर खर्च नहीं कर पाएंगी, उन्हें इसकी वजह बतानी होगी। उन पर कार्रवाई की जा सकती है। पेनल्टी भी लगाई जा सकती है। अभी ज्यादातर कंपनियों में सीएसआर ऐक्टिविटीज दूसरे मैनेजमेंट एरिया मसलन- एचआर, मार्केटिंग और कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन का हिस्सा हैं। कुछ कंपनियां कम्युनिटी के साथ मिलकर इसके लिए काम कर रही हैं। वहीं, कुछ इसे सिर्फ टैक्स चुकाने की तरह कानूनी खानापूर्ति मानती हैं। हालांकि, कुछ ऐसी भी कंपनियां हैं, जिनके बिजनेस से सीएसआर गहरा जुड़ा हुआ है।
जो कंपनियां सोशल डिवेलपमेंट में पहले से कंट्रिब्यूट कर रही हैं, उनका कहना है कि बिल का उन पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। टाटा ग्रुप, आदित्य बिड़ला गुप, एस्सार ग्रुप, मैरिको सहित कुछ कंपनियां सिस्टेमैटिक तरीके से इस तरह के काम कर रही हैं। आदित्य बिड़ला ग्रुप में एचआर डायरेक्टर और कार्बन ब्लैक बिजनेस के सीईओ संतृप्त मिश्रा ने कहा, 'जो कंपनियां पहले से इस एरिया में काम कर रही हैं, उनका सिर्फ पेपरवर्क थोड़ा बढ़ जाएगा(रीका भट्टाचार्य/अनुमेहा चतुर्वेदी,नभाटा,दिल्ली,31.12.12)।'
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