दो साल पहले तक अमित सेठ मल्टिनैशनल आईटी और मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म लॉजिका के यूरोपियन ऑपरेशंस से जुड़े हुए थे। उनका रोल पब्लिक सेक्टर स्ट्रैटिजी कंसल्टिंग में सरकारी अफसरों से संपर्क करना था। इस दौरान उन्हें पब्लिक पॉलिसी में खुद को एनरोल कराने की जरूरत महसूस हुई। वह चीजों को अच्छी तरह समझना चाहते थे। सेठ के मुताबिक, आईआईएम बेंगलुरू ने उन्हें दो साल के पब्लिक पॉलिसी मैनेजमेंट प्रोग्राम में दाखिल होने के लिए बढ़ावा दिया। सेठ ने पिछले साल यह कोर्स पूरा किया और वह स्टार्टअप मॉडर्न फैमिली डॉक्टर में डायरेक्टर, स्ट्रैटिजिक अलायंस ऐंड कंसल्टिंग के तौर पर काम कर रहे हैं।
इस स्टार्टअप का मकसद आस-पड़ोस के अस्पतालों और फार्मेसी के जरिए सस्ती हेल्थकेयर सर्विस देना है। उन्होंने बताया, 'आईआईएम बेंगलुरु ने मुझे ब्यूरोक्रेट्स के साथ मिलने, चीजें समझने और नेटवर्किंग का मौका दिया।' ब्यूरोक्रेट और ऐडमिनिस्ट्रेटिव अफसरों के अलावा सेठ जैसे लोग ऐसे रोल की ओर देख रहे हैं, जिनमें वह सरकार के साथ करीबी ढंग से काम कर सकें। वे पब्लिक पॉलिसी को अच्छी तरह समझना चाहते हैं। आईआईएम में आईआईएम बेंगलुरु (आईआईएम-बी) अकेला ऐसा इंस्टिट्यूट है, जो दो साल का फुल-टाइम एमबीए प्रोग्राम पब्लिक पॉलिसी में ओपन कैंडिडेट्स और ब्यूरोक्रेट्स के लिए चला रहा है। इंस्टिट्यूट ने फैसला किया है कि अगले साल के दो साल के बैच के लिए सीटों की संख्या डबल कर दी जाए।
यह प्रोग्राम पहले केवल सरकारी अधिकारियों और सिविल सर्वेंट्स के लिए था। 2008 में इसे सबके लिए खोला गया। आईआईएम-बी के 'पोस्ट ग्रैजुएट प्रोग्राम इन पब्लिक पॉलिसी मैनेजमेंट' के चेयरमैन प्रफेसर जी रमेश के मुताबिक, 'जिन चीजों पर पॉलिसी का ज्यादा असर होता है, उनमें प्रफेशनल की दिलचस्पी बढ़ रही है। प्राइवेट सेक्टर अब इंफ्रास्ट्रक्चर, यूटिलिटी और म्यूनिसिपल सर्विसेज जैसे सेक्टरों से जुड़ा है। इस वजह से यह ट्रेंड बढ़ रहा है।' 2013 में आईआईएम-बी इस प्रोग्राम में 30 कैंडिडेट्स पब्लिक सेक्टर से लेगा। 30 लोग बाहर से होंगे। इस प्रोग्राम में कुल 60 सीटें हैं। इस साल तक बैच साइज 25-35 लोगों का था। इस प्रोग्राम में प्रफेशनल्स को पॉलिसी ऐनालिसिस स्किल्स और सॉफ्ट स्किल्स की सीख भी दी जाती है।
आईएसबी भी जनरल मैनेजमेंट प्रोग्राम में ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर पब्लिक पॉलिसी को शामिल करेगा। वह अपने मोहाली कैंपस में अगले साल से इसकी शुरुआत कर रहा है। प्राइवेट कंपनियों को अब ऐसे लोगों की जरूरत है, जिन्हें सरकारी पॉलिसी की समझ हो और जो उससे बेहतर तालमेल बना सकें(अनुमेहा चतुर्वेदी,नभाटा,दिल्ली,12.12.12)।
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