मुख्य समाचारः

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31 मई 2010

एशियन विश्वविद्यालय में पढ़ेंगी तेनुघाट की बेटियां

शिक्षा के वैश्वीकरण का ही परिणाम है कि अब बेरमो के तेनुघाट जैसे कस्बाई इलाके के छोटे किसान की बेटियां भी अमेरिकी सरकार द्वारा बांग्लादेश में संचालित अंतरराष्ट्रीय शिक्षण संस्थान एशियन यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त करेंगी। इस संस्थान में नामांकन के लिए हुई प्रवेश परीक्षा में झारखंड से मात्र तीन छात्राओं का चयन हुआ है और ये तीनों जवाहर नवोदय विद्यालय तेनुघाट से प्लस टू की हैं। पांच वर्षीय आईटी डिग्री का कोर्स ये वहां नि:शुल्क करेंगी। इनके अलावा देश की 12 अन्य छात्राएं भी यहां शिक्षा के लिए चयनित हुई हैं। किसे मिली सफलता : तेनुघाट के दांतू ग्राम निवासी कृषक सूर्यनारायण नायक की पुत्री गायत्री कुमारी, इसी गांव के साधारण किसान राजेश्वर प्रसाद नायक की पुत्री सावित्री कुमारी तथा जरीडीह बाजार के व्यवसायी रंजीत चौरसिया की पुत्री कुमारी रजनी रंजन। संस्थान, सुविधाएं और पाठ्यक्रम : बांग्लादेश के चटगांव स्थित एशियन यूनिवर्सिटी फार वुमेन (एयूडब्लू) में आईटी पांच वर्षीय डिग्री कोर्स करेंगी जो पूरी तरह नि:शुल्क होगा। यहां इन्हें पुस्तक, पोशाक, भोजन, छात्रावास आदि की सुविधाएं मुफ्त मिलेंगी। वर्ष में दो बार अपने पैतृक आवास आने-जाने के लिए वायु व रेल मार्ग का टिकट भी यूनिवर्सिटी द्वारा नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। यूनिवर्सिटी का संचालन यूनाइटेड स्टेट अमेरिका गवर्मेट द्वारा किया जाता है और इसकी फैकल्टी अमेरिका व ब्रिटेन के होते हैं। पढ़ाई पूरी करते ही कम से कम 50 लाख के वार्षिक पैकेज पर पसंद अनुसार अंतरराष्ट्रीय कंपनियां कैंपस प्लेसमेंट करती हैं। नामांकन के लिए प्रतिवर्ष एशिया स्तर पर प्रवेश परीक्षा ली जाती है(दैनिक जागरण,रांची,31.5.2010)।

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जम्मू यूनिवर्सिटी में स्नातक फाइनल के गणित-ए का पेपर दोबारा होगा

जम्मू यूनिवर्सिटी ने स्नातक (बीए, बीएससी, बीसीए) अंतिम वर्ष के गणित-ए का पेपर फिर से लेने का फैसला किया गया है। पेपर केवल गवर्नमेंट गांधी मेमोरियल (जीजीएम) सांइस कालेज और श्री प्रताप मेमोरियल राजपूत (एसपीएमआर) कामर्स कालेज में पेपर देने वाले विद्यार्थियों का होगा। गौरतलब है कि बुधवार को ग्रेजुएशन पार्ट फाइनल के गणित पेपर-ए पाठ्यक्रम से बाहर डाले जाने का विरोध हुआ था। जम्मू ज्वाइंट स्टूडेंट फेडरेशन के कार्यकर्ताओं ने पेपर फाड़ व उत्तर पुस्तिकाओं को आग लगा प्रदर्शन किया था। साइंस व कामर्स कालेज में पेपर का बहिष्कार भी किया गया था। इसके बाद इन कालेजों के प्रिंसिपलों के साथ हुई बैठक के बाद जम्मू विवि ने साफ किया कि पेपर तो पाठ्यक्रम के बाहर से नहीं आया था मगर इन सेंटरों के विद्यार्थियों का पेपर तीन जून को फिर से होगा। इसके लिए विद्यार्थियों को 500 रुपये फीस जमा करानी पड़ेगी। यूनिवर्सिटी के फैसले से विद्यार्थियों ने राहत की सांस ली है, लेकिन फीस जमा कराने को लेकर उनमें रोष है। कई विद्यार्थियों ने कहा कि उनका पेपर जबरदस्ती फाड़ा गया था। इसलिए अब फीस नहीं लेनी चाहिए(दैनिक जागरण,जम्मू,31.5.2010)।

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जम्मू-कश्मीर में स्कूल का रास्ता भूल गई शिक्षा

राष्ट्र के भविष्य की नींव शिक्षा के द्वारा ही बनाई या बिगाड़ी जा सकती है। यही कारण है कि तालिबान स्कूलों पर हमले करते हैं और यही कारण है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल से लेकर राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री पीरजादा मोहम्मद सईद तक शिक्षा में सुधार के लिए लगातार माथापच्ची कर रहे हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी गद्दी संभालने के बाद शिक्षा को अपनी प्राथमिकताओं में रखा। पर क्या इतनी माथापच्ची के बावजूद हम विद्यार्थियों को उच्च स्तर की शिक्षा मुहैया करवा पा रहे हैं। शायद नहीं! क्योंकि हर बार की तरह राज्य स्कूली शिक्षा बोर्ड के परीक्षा परिणामों में सरकारी स्कूल कहीं भी नहीं ठहरते। संभले हुए जो आंकड़ें हम देख रहे हैं वे निजी स्कूलों को मिलाकर हैं। सरकारी स्कूलों का परिणाम जहां मात्र 39 प्रतिशत रहा वहीं प्राइवेट स्कूलों का परिणाम 65 प्रतिशत दर्ज किया गया। स्थिति में इतना सुधार जरूर हुआ है कि इस बार सरकारी स्कूलों ने पिछले वर्ष की तुलना में मेरिट लिस्ट में अधिक उपस्थिति दर्ज करवाई है। विशेषकर आ‌र्ट्स विषय में जहां पहले दस स्थानों में से आठ पर सरकारी स्कूलों का कब्जा ने किया। पिछले वर्ष जहां सभी विषयों में 11 सरकारी स्कूलों के बच्चे मेरिट सूची में थे वहीं इस बार यह संख्या 16 है। इस समय राज्य में 14,820 प्राइमरी स्कूल (13,516 सरकारी और 1,304 प्राइवेट), 8300 मिडिल स्कूल (6,264 सरकारी और 2036 प्राइवेट), 1901 हाई स्कूल (1156 सरकारी और 745 प्राइवेट) और 786 हायर सेकेंडरी स्कूल(597 सरकारी और 189 प्राइवेट) हैं। नि:संदेह सरकार ने इतनी बड़ी संख्या में स्कूल खोल कर बच्चों को उनके द्वार पर शिक्षा मुहैया करवाने का प्रयास किया है। मगर आधारभूत ढांचे मजबूत बनाने में राज्य सरकार अब भी सफल नहीं हो पाई है। बच्चों को उनके द्वार पर शिक्षा तो मिल रही है मगर उसमें गुणवत्ता नहीं है। सरकार भी गुणवत्ता बढ़ाने के स्थान पर केवल संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है। कम रिजल्ट दिखाने वाले शिक्षकों की इंक्रीमेंट रोककर और स्कूलों में शिक्षकों की हाजिरी को सुनिश्चित बनाने और लोगों की वाहवाही लूटने के लिए मंत्रियों के औचक दौरे शिक्षा में सुधार की राह में सिर्फ एक छोटी सी कोशिश ही कहे जा सकते हैं। अभी तक राज्य सरकार ने शिक्षा की कोई भी पुख्ता नीति नहीं बनाई है। शिक्षा नीति के अभाव में राज्य में इस क्षेत्र में उन्नति महसूस नहीं हो रही है। अब हाल यह हो गया है कि आठ वर्ष पहले जहां 12वीं का परीक्षा परिणाम 42 प्रतिशत था, वह इस वर्ष 45 प्रतिशत तक ही पहुंच पाया है। वर्ष 2002-03 में जब राज्य में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने सत्ता की बागडोर संभाली थी, तो उस समय राज्य शिक्षा बोर्ड की 12वीं कक्षा का परिणाम 42 प्रतिशत आया था। उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए कई कदम उठाने की घोषणा की। मगर इन कदमों और कार्रवाइयों का कोई फायदा महसूस नहीं हुआ क्योंकि अगले वर्ष परिणाम गिरकर मात्र 39 प्रतिशत रह गया। सरकार ने रहबर-ए-तालीम योजना के तहत हजारों शिक्षक नियुक्त किए, लेकिन परिणाम फिर वहीं ढाक के तीन पात। अगले वर्ष 2004-05 में परीक्षा परिणाम पांच प्रतिशत और घटकर 34 प्रतिशत रह गया। गुलाम नबी आजाद ने मुख्यमंत्री बनने के बाद कम रिजल्ट लाने वाले स्कूलों के शिक्षकों की इंक्रीमेंट बंद करने की चेतावनी दी। इस चेतावनी के चमत्कारिक परिणाम आए और रिजल्ट में छह प्रतिशत की बढ़ोतरी होकर यह 40 प्रतिशत तक पहंुच गया। इस बार के परीक्षा परिणामों में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के अलावा चौंकाने वाली बात यह भी है कि ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों की तुलना में शहरी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों का हाल बहुत बुरा है। क्या वजह है कि उच्च शिक्षा प्राप्त और अनुभवी शिक्षक होने के बावजूद शहरी क्षेत्रों में स्थित सरकारी स्कूलों का एक बच्चा भी पास नहीं हो सका। नि:संदेह इस बार सरकारी स्कूलों में थोड़ा सुधार जरूर हुआ है। नतीजतन सांइस, कामर्स और आ‌र्ट्स की पहली दस पोजीशनों पर सरकारी स्कूलों के 16 विद्यार्थियों ने जगह बनाई। परंतु मात्र इन 16 के आधार पर हम यह नहीं कह सकते कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आ गई है। 10वीं के परीक्षा परिणाम में सरकारी स्कूलों की पोल फिर से खुल गई। वर्ष 2006-07 में परीक्षा परिणाम जहां 60 प्रतिशत था वह वर्ष 2008-09 में पांच प्रतिशत कम होकर मात्र 55 प्रतिशत रह गया। इस बार थोड़ा सा सुधार जरूर हुआ है और परिणाम 56.52 प्रतिशत हो गया। मगर सरकारी दावों की हवा यहां काम नहीं आई। 12वीं कक्षा में सरकारी स्कूलों के बच्चों ने मेरिट सूची में स्थान हासिल कर जो कीर्तिमान कायम किया वह दसवीं के परिणाम आने के बाद धराशायी हो गया। इनमें एक भी सरकारी स्कूल का विद्यार्थी मेरिट सूची में अपना नाम दर्ज नहीं करवा पाया। इसका कारण स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी भी है। स्कूलों में रिक्तपड़े छह हजार शिक्षकों के पद यह बताते हैं कि सरकार की करनी और कथनी में बहुत बड़ा अंतर है। सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचा ही नहीं है। कुछ प्राइमरी स्कूलों में पांच कक्षाओं को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक है, तो कुछ मिडिल स्कूलों में आठ कक्षाओं को पढ़ाने के लिए चालीस टीचर। अभिभावकों का सरकारी स्कूलों पर से विश्र्वास कम होता जा रहा है। सरकार को चाहिए कि वह एक ऐसी पुख्ता नीति बनाए जिससे शिक्षा का स्तर सुधरे(दैनिक जागरण,जम्मू,30.5.2010)।

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जम्मू-कश्मीर में गुज्जरों के लिए मोबाइल स्कूल

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि गुज्जर समुदाय में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सभी मोबाइल स्कूलों को फिर से खोला जाएगा। आतंकवाद के कारण ये स्कूल बंद हो गए थे। गुज्जर देश चैरिटेबल ट्रस्ट के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि गुज्जर समुदाय में साक्षरता कम होने के कारण वे आरक्षण का लाभ नहीं उठा रहे हैं। अब सरकार सभी मोबाइल स्कूलों को फिर से खोल रही है ताकि इस समुदाय के बच्चे पढ़ सकें। उन्होंने समुदाय के युवाओं से हाल ही में सिविल सर्विसेस में टाप करने वाले डा. फैजल से प्रेरणा लेने को कहा। फैजल उन हालात में पढ़ता था जहां पर रात के समय मोमबत्ती भी नहीं जलाई जा सकती थी। उन्होंने समुदाय को उन सभी नेताओं से सावधान रहने को कहा जो कि वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। केंद्रीय नव अक्षय ऊर्जा मंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार ने इस समुदाय के लिए जो मोबाइल स्कूल खोले थे उससे भी मकसद पूरा नहीं हो पाया। मंत्री ने कहा कि समुदाय के लोगों को एकजुट होकर अपनी मांगें उठानी होगी तभी उनका समाधान होगा। कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कहा कि आज सांइस सहित हर क्षेत्र में तरक्की हो रही है मगर इन सबमें कहीं न कहीं हमारी सांस्कृतिक पहचान खोती जा रही है। मगर गुज्जर चैरिटेबल ट्रस्ट ने इस दिशा में जो कदम उठाया है वह सराहनीय है। डोडा जिले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उनके गृह जिले में कश्मीरी, डोगरी, गोजरी सहित हर भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं और यह अपने आप में एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि अपनी भाषा का ज्ञान हर किसी को होना चाहिए। रूस जैसा देश इसका उदाहरण है, जहां पर अंग्रेजी को नहीं बल्कि अपनी भाषा को प्राथमिकता दी जाती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रो.सैफुद्दीन सोज ने कहा कि यह दिन गुज्जर समुदाय के लिए यादगार दिन है। आज यहां पर देश के विभिन्न कोने से आए गुज्जर समुदाय के लोग जुटे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि गुज्जरों की समस्याओं को हल करवाने का प्रयास किया जाएगा। इससे पहले गुज्जर देश चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन मसूद चौधरी ने सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए गुज्जर समुदाय की समस्याओं को उठाया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1940 में पं. नेहरू ने इस समुदाय के लोगों की जो हालत देखी थी आज तक उस हालात में कोई खास बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा कि उनके समुदाय के लोग आर्थिक और सामाजिक तौर पर पिछड़े हुए हैं(दैनिक जागरण,जम्मू,30 मई,2010)।

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फिर से बनेगा उच्च शिक्षा एवं शोध आयोग का मसौदा

तमाम मतभेदों और विवादों के बाद आखिरकार उच्च शिक्षा में सुधार के लिए सबसे अहम् कदम के रूप में प्रस्तावित राष्ट्रीय उच्च शिक्षा एवं शोध आयोग (एनसीएचईआर) के मसौदे में बदलाव करना ही पड़ गया। अब उसके गठन में राज्यों व विभिन्न शोध संस्थानों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे और फैसलों में उनकी भी चलेगी। राज्यों के सामने नेशनल रजिस्ट्री से ही कुलपतियों के चयन की बाध्यता नहीं होगी। इतना ही नहीं, इस मसले पर मंत्रालयों के बीच मची खींचतान के बाद इस पर अंतिम फैसला केंद्र सरकार पर छोड़ दिया गया है। एनसीएचईआर के गठन के लिए तैयार विधेयक के संशोधित मसौदे पर शनिवार को यहां सभी पक्षकारों के साथ हुई बैठक के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने पत्रकारों से यहां पहली बार कहा कि इस पर अंतिम फैसला केंद्र सरकार करेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विधेयक का यह मसौदा उनके या किसी एक मंत्रालय का नहीं, बल्कि उसके लिए गठित टास्क फोर्स का दस्तावेज है। उच्च शिक्षा से जुड़े सभी पक्षकारों ने उस पर तमाम जरूरी सुझाव दिए हैं। उन सुझावों को शामिल करके टास्क फोर्स नया मसौदा बनाएगा। उसके बाद उस पर आगामी 19 जून को केंद्रीय शिक्षा सलाहकार परिषद (केब) और फिर केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी। प्रस्तावित आयोग किसी एक मंत्रालय का नहीं, बल्कि केंद्र सरकार का होगा। गौरतलब है कि इस आयोग के गठन की बात शुरू होने के बाद से ही उच्च शिक्षा के मेडिकल कौंसिल आफ इंडिया (एमसीआई), डेंटल कौंसिल आफ इंडिया, बार कौंसिल आफ इंडिया समेत उच्च शिक्षा के दूसरे नियामक निकायों को उसके दायरे में लाने को लेकर विरोध शुरू हो गया था। दरअसल मानव संसाधन विकास मंत्रालय पूर्व में उसे ऐसा पेश कर रहा था, जैसे एनसीएचईआर सिर्फ उसका अपना निकाय हो और उच्च शिक्षा के बाकी नियामक निकायों को उसके अधीन आना होगा। इस बीच, सूत्रों ने बताया कि विधेयक के संशोधित मसौदे में अब एनसीएचईआर के भीतर ही एक जनरल कौंसिल (आम सभा) का गठन किया जाएगा। उसमें सभी राज्यों व सभी शोध संस्थानों के प्रतिनिधि रखे जाएंगे। आम सभा को अपने दो तिहाई बहुमत से एनसीएचईआर के किसी फैसले को बदलने का अधिकार होगा(दैनिक जागरण,30.5.2010)

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इग्नू : कम्प्यूटर शिक्षा के लिए छात्राओं को मिलेगी छात्रवृत्ति

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय का विशेष कम्प्यूटर अध्ययन केन्द्र छात्राओं को कम्प्यूटर शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष छात्रवृत्ति प्रदान करेगा। रविवार को विश्र्वविद्यालय के क्षेत्रीय निदेशक डा.ए.एन.त्रिपाठी ने कहा कि विश्र्वविद्यालय का विशेष अध्ययन केन्द्र ने राजधानी की छात्राओं को छात्रवृत्ति देने का निर्णय लिया है। केन्द्र की ओर छात्राओं को पूरे कोर्स की 25 प्रतिशत राशि बतौर छात्रवृत्ति प्रदान की जायेगी। देश में पहली बार किसी केन्द्र ने छात्राओं को छात्रवृत्ति देने का निर्णय लिया है। वर्तमान में इग्नू के केन्द्रों पर कम्प्यूटर शिक्षा के लिए बहुत कम लड़कियां पहुंच पा रही हैं। वहीं दूसरी ओर जिन छात्रों ने इग्नू के विभिन्न कोर्सो में नामांकन लिया है, वे 31 अगस्त तक अंक पत्र जमा कर सकते हैं। अगस्त के बाद जो छात्र अंक पत्र जमा करेंगे उनका सत्र जनवरी से शुरू होगा। जो छात्र बिना अंक पत्र के फार्म भरे हैं उनकी पात्रता वैध होगी। वे 31 अगस्त तक अपना अंक पत्र विश्र्वविद्यालय में जमा कर सकते हैं। उनका सत्र इसके साथ ही शुरू हो जायेगा(दैनिक जागरण,पटना,31.5.2010)।

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सिर्फ हव्वा है अंग्रेज़ी माध्यमःउमेश चतुर्वेदी

यह 1994-95 की बात है। दिल्ली के तब के मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना विदेश दौरे पर थे। उनकी गैरमौजूदगी में तब के शिक्षा और विकास मंत्री साहिब सिंह वर्मा कार्यकारी मुख्यमंत्री की भूमिका निभा रहे थे। इस दौरान उन्होंने तय किया कि पब्लिक स्कूलों में पहली कक्षा से ही अंग्रेजी की पढ़ाई पर रोक लगा दी जाए और उन्होंने उसे रोक दिया। इसे लेकर राजधानी के अंग्रेजीभाषी समाज में भूचाल आ गया। अंग्रेजी मीडिया और पब्लिक स्कूलों ने सुर में सुर मिलाकर तर्क देना शुरू कर दिया था कि अंग्रेजी की पढ़ाई के बिना तकनीकी पढ़ाई का क्या होगा। यहां यह बताना बेकार है कि मदनलाल खुराना के विदेश से लौटने तक अंग्रेजी के खेवनहार जीत गए थे और साहिब सिंह वर्मा का गंवई मन मसोस कर अपने ही फैसले को वापस होता देखता रह गया। लेकिन इस साल आईआईटी की परीक्षा के जो नतीजे आए हैं, उसने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है कि हिंदी माध्यम वाले बच्चे देश के इस सबसे बेहतर तकनीकी संस्थान में दाखिला नहीं ले सकते और बेहतरीन विद्यार्थी नहीं हो सकते। इस साल आईआईटी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में कुल 13,104 उम्मीदवार सफल हुए हैं, जिसमें हिंदी माध्यम से पास होने वाले छात्रों की संख्या 554 है। तेरह हजार से ज्यादा कामयाब छात्रों के बीच हिंदी वाले छात्रों की इतनी संख्या छोटी हो सकती है। लेकिन पिछले रिकॉर्ड पर जब नजर जाती है तो यह कामयाबी कहीं ज्यादा बड़ी नजर आती है। खुद आईआईटी के ही मुताबिक पिछले साल हिंदी माध्यम से सिर्फ 184 प्रतियोगी सफल रहे थे। इसकी तुलना में तो इस साल की कामयाबी करीब तीन गुना ज्यादा बैठती है। जाहिर है कि इससे हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले नए प्रतियोगी और उत्साहित होंगे और अगली बार कामयाबी में उनकी भागीदारी और भी ज्यादा होगी। 1835 में जब मैकाले ने मिंट योजना लागू की थी तो उसका एक मात्र उद्देश्य अंग्रेजी सरकार के लिए बाबुओं को तैयार करना था। मैकाले की आत्मा जहां भी होगी, वह अपनी कामयाबी का अब तक जश्न मनाती रही है। क्योंकि भारत में अंग्रेजी का व्यवहार अंग्रेजी की अपनी ब्रिटिश धरती की तुलना में कहीं ज्यादा रहा है। लेकिन आईआईटी में हिंदी माध्यम वालों की कामयाबी ने कम से कम मैकाले की आत्मा को भी अब जरूर परेशान करना शुरू कर दिया होगा। अपने देश में जब भी अंग्रेजी के खिलाफ कोई तर्क दिया जाता है, तुरंत हिंदी के विरोध में भी कहा जाने लगता है कि हिंदी में ज्ञान-विज्ञान की पढ़ाई के लिए न तो किताबें हैं और न ही उसमें इतनी क्षमता है कि वह अंग्रेजी की तरह तकनीकी और ज्ञान-विज्ञान की चीजों को अभिव्यक्त कर सके। इसके खिलाफ चीन और जापान की तकनीकी क्रांति और दुनिया में आर्थिक महाशक्ति बनते जाने का उदाहरण भी दिया जाता रहा है। लेकिन भारतीय मानसिकता यह है कि वह अपनी सनातनी पद्धति के गौरव का जिक्र तो करती है, लेकिन भारतीयता के प्रतीक माने जाते रहे दो शब्दों गंगा और सिंदूर को देने वाली धरती की ओर नहीं झांकती। भारतीयता के प्रतीक ये दोनों ही शब्द पड़ोसी देश चीन से आए हैं। चीन की प्रगति की हम अब बात तो करने लगे हैं, लेकिन वहां जारी अपनी भाषाओं और अंग्रेजी के खिलाफ बढ़ते माहौल को लेकर हम उदासीन ही रहते हैं। आर्थिक उदारीकरण के दौर में चीन और जापान की तकनीकी क्रांति अब हमें भी लुभा रही है, हम उन्हीं की तरह आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर आगे बढ़ने की बात तो करने लगे हैं, लेकिन हमें उनकी तरह अपनी भाषाओं से प्यार का ककहरा सीखने में झल्लाहट और हिचक जारी है। देश में बढ़ते अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के पीछे एक बड़ा तर्क यह भी है कि हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले लोग क्लर्क और चपरासी तो बन सकते हैं, लेकिन इंजीनियर, डॉक्टर और आईएएस नहीं बन सकते। यही वजह है कि देश के दूरदराज तक के इलाकों में अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूलों की बाढ़ आ गई है। लोगों में यह भावना घर कर गई है कि चाहे भूखे रहेंगे, आधी रोटी खाएंगे, लेकिन अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में ही पढ़ाएंगे। हालांकि इस प्रवृत्ति की मुखालफत साठ के दशक में डीएस कोठारी की अध्यक्षता वाला कोठारी कमीशन से लेकर आज के दौर के मशहूर शिक्षाशास्त्री और वैज्ञानिक प्रोफेसर यशपाल तक कर चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह कि दोनों ही विद्वान अंग्रेजी के भी वैसे ही जानकार हैं, जैसे भारतीय अंग्रेजी दां हैं। देश की तकरीबन हर सरकार भी इन विद्वानों की राय का आदर करती रही हैं, लेकिन अंग्रेजी समर्थक लॉबी के दबाव में बच्चों से अंग्रेजी का दबाव हटाने की दिशा में कभी इच्छाशक्ति नहीं दिखा पाई। भारत के अपने लोग और अपने अगुआ भले ही जिस काम को नहीं कर पाए, आर्थिक उदारीकरण के बाद बढ़ते भारत के विशाल मध्यवर्ग ने वह कर दिखाया है। आज भारत में माना जा रहा है कि करीब चालीस करोड़ लोगों का विशाल मध्यवर्ग है, जिसकी खरीद क्षमता बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि दुनिया के बड़ी कंपनियां तक कमाई के लिए भारत का रुख कर रही हैं। उन्हें पता है कि इस बाजार का दोहन हिंदी और भारतीय भाषाओं के जरिए ही किया जा सकता है, यही वजह है कि वे हिंदी में काम को बढ़ावा दे रही हैं। इस तरह हिंदी नए सिरे से प्रतिष्ठापित हो रही है। हिंदी और भारतीय भाषाओं के इस जयगान में भारतीय लोकतंत्र का भी बड़ा हाथ है। लोकतंत्र में पिछड़ी और अनुसूचित जातियों के लोगों की ऐतिहासिक कारणों से अंग्रेजी तक वह पहुंच नहीं बन पाई है, जो हिंदी और भारतीय भाषाओं की है। कोई सरकार भले ही राजभाषा के मंच पर प्रतिष्ठित राजभाषा की उपेक्षा कर दे, लेकिन सत्ता विमर्श में उभर कर सामने आ रही इन जातियों और इन वर्गो की अनदेखी नहीं कर सकती। इसलिए उन्हें हिंदी और भारतीय भाषाओं को आईआईटी और संघ लोक सेवा आयोग तक को प्रवेश देना पड़ रहा है, जहां हिंदी अब तक चेरी या दोयम भूमिका में रही है। इसका नतीजा दिख रहा है कि अब हिंदी माध्यम के परीक्षार्थी आईआईटी और सिविल सर्विस तक में कामयाब होने लगे हैं। कार्मिक मंत्रालय ने सिविल सर्विस परीक्षा की जो रिपोर्ट जारी की है, उसके मुताबिक पिछले साल आईएएस के लिए जिन 111 लोगों का चयन हुआ, उनमें से हिंदी माध्यम के सफल प्रतियोगी 19 थे। संघ लोकसेवा आयोग के ही मुताबिक इस साल कामयाब टॉप 25 में चार प्रतियोगियों ने हिंदी माध्यम में परीक्षा दी थी। इन छात्रों की कामयाबी का जश्न इसलिए भी ज्यादा हो जाता है, क्योंकि खुद आईआईटी की आर्गेनाइजिंग कमेटी की रिपोर्ट ही मानती है कि हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए आईआईटी परीक्षा में पास होना आसान नहीं है। जाहिर है इसका असर सामाजिक तौर पर भी पड़ रहा है। संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य और हिंदी के जाने-माने विद्वान पुरुषोत्तम अग्रवाल भी मानते हैं कि हिंदी माध्यम ने सिविल सर्विस की परीक्षाओं में ग्रामीण इलाकों के छात्रों के लिए भी दरवाजे खोले हैं। जाहिर है इसका असर इंजीनियरों और सिविल सेवा अधिकारियों की मानसिकता पर भी पड़ेगा। अब तक इन सेवाओं को सिर्फ शहरी नजरिए से ही देखा जाता रहा है। भारत के गांवों के पिछड़ेपन को लेकर अब तक जितने भी आरोप लगते रहे हैं, उसमें एक बड़ा कारण यह भी माना जाता रहा है कि जो भी योजनाएं बनती हैं, उन्हें बनाने वाले ज्यादातर लोगों को गांवों से परिचय सिर्फ निबंध लेखन तक ही होता है, लेकिन हिंदी और भारतीय भाषाओं के माध्यम से जो छात्र इंजीनियरिंग या सिविल सर्विस में आ रहे हैं, उनका नजरिया जाहिर है कुछ अलग ही होगा। उनकी सोच अपने धूल भरी गांवों की गलियों के उत्थान के लिए भी होगी। तो क्या हम ये मानने लगें कि भारत की 65 प्रतिशत ग्रामीण आबादी में बदलाव की नई बयार बहने वाली है। आईआईटी और सिविल सर्विस में हिंदी और भारतीय भाषाओं की यह कामयाबी कम से कम ऐसी उम्मीद तो जरूर जताती है(दैनिक जागरण,31.5.2010)।

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यूपी में बगैर बीटीसी के भी बन जाएंगे मास्टर!

यदि केंद्र सरकार ने उत्तरप्रदेश सरकार की मांग मान ली तो भविष्य में बीटीसी न होने पर भी स्नातक और परास्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने का मौका मिल सकता है। राज्य में शिक्षा के अधिकार अधिनियम को अमली जामा पहनाने के लिए जितनी बड़ी संख्या में शिक्षकों की जरूरत है, उसकी तुलना में बीटीसी धारक उपलब्ध नहीं हो पा रहे। ऐसे में राज्य सरकार ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अनुरोध किया है कि स्नातक और परास्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भी प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक नियुक्त करने की अनुमति दी जाये। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के सिलसिले में 28 मई को नई दिल्ली में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के साथ हुई बैठक में यह मांग की गई। राज्य सरकार की ओर से मांग कहा गया कि शिक्षा अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए राज्य में तीन वर्षों के दौरान 3.25 लाख प्रशिक्षित शिक्षकों की जरूरत होगी। राज्य में परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए शैक्षिक अर्हता बीटीसी है। प्रदेश में बीटीसी प्रशिक्षित अभ्यर्थियों की काफी कमी है। इसलिए शिक्षा के अधिकार अधिनियम के मुताबिक टीचरों की तैनाती के लिए राज्य को स्नातक और परास्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भी प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक नियुक्त करने की अनुमति दी जाए। यह अनुमति देने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय से इस आशय की अधिसूचना जारी करने की अपेक्षा की गई। सूत्रों के मुताबिक राज्य की इस मांग पर केंद्रीय मंत्रालय ने सकारात्मक रुख दिखाया है। ऐसे शिक्षकों को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) द्वारा दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्रशिक्षण दिये जाने की भी मांग की गई। प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में तैनात अप्रशिक्षित शिक्षकों (पैरा टीचर सहित) को प्रशिक्षण दिलाने के लिए इग्नू और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के सहयोग की अपेक्षा भी जतायी गई। अप्रशिक्षित शिक्षकों को पहली अगस्त से दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से ट्रेनिंग दिलाने की मांग भी की गई है(दैनिक जागरण,31.5.2010 में लखनऊ से राजीव दीक्षित की रिपोर्ट)।

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शिक्षकों की अनिवार्य योग्यता में ढील का प्रस्ताव

सरकार देश में करीब 12 लाख शिक्षकों की कमी को देखते हुए उनकी नियुक्ति के लिए योग्यता की शर्तों में छूट देने पर विचार कर रही है। नियुक्त होने वाले शिक्षकों को तय समयसीमा में योग्यता हासिल करनी होगी। ऐसा नहीं कर पाने वालों की छुट्टी कर दी जाएगी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि देश में शिक्षकों की भारी कमी है और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए ‘प्रशिक्षित’ शिक्षकों को नियुक्त करना महत्वपूर्ण चुनौती है। उन्होंने कहा कि इस समस्या को दूर करने के लिए एक ऐसी योजना का प्रस्ताव किया गया है जिसके तहत केंद्र और राज्य-स्तरीय स्कूलों में न्यूनतम पात्रता के आधार पर तीन या पांच वर्ष की एक निर्धारित अवधि के लिए शिक्षकों को नियुक्त किया जाएगा और इस दौरान उन्हें जरूरी पात्रता हासिल करनी होगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से नियुक्त किए गए शिक्षकों को पढ़ाने का ‘अनुभव’ भी मिल जाएगा और वे जरूरी ‘शिक्षक प्रशिक्षण डिग्री’ से भी लैस हो जाएंगे। अधिकारी ने कहा कि शिक्षकों की कमी को दूर करने के इस प्रस्ताव को लागू करने से प्रशिक्षित अनुभवी शिक्षकों का एक बड़ा समूह तैयार हो जाएगा। बहरहाल, उन्होंने कहा कि निर्धारित अवधि में जरूरी पात्रता नहीं हासिल करने वाले शिक्षक पद से हटाए जा सकेगे। देश में मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून हालांकि एक अप्रैल को ही लागू कर दिया गया है लेकिन कई राज्यों को शिक्षकों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्री ने भी देश में 12 लाख शिक्षकों की जरूरत बताई है और राज्यों से इस दिशा में प्रयास करने को कहा है।
उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने शिक्षकों की कमी और आरटीई को लागू करने के लिए धन की कमी जैसे विषयों पर मानव संसाधान विकास मंत्री कपिल सिब्बल से चर्चा की है(दैनिक ट्रिब्यून,31 मई,2010)।

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डीयू के फॉर्म में बेस्ट ऑफ फोर

दिल्ली विश्वविद्यालय का कॉमन प्री एडमिशन फॉर्म भरते समय ज्यादातर छात्रों की समस्या होती है कि बेस्ट ऑफ फोर कैसे निकाला जाए। आर्ट्स और कॉमर्स के कोर्स के विभिन्न कोर्स के लिए अलग-अलग तरीके से बेस्ट ऑफ फोर निकाला जाता है। साइंस के अधिकतर कोर्स में पीसीएम या पीसीबी चलता है। बायोलॉजिकल साइंस में पीसीएमबी निकालते हैं।

कंप्यूटर साइंस में अंग्रेजी, गणित और दो इलेक्टिव के आधार पर बेस्ट ऑफ फोर निकाला जाता है। प्रमुख बात ध्यान रखने की है कि डीयू के लिए अतिरिक्त विषय नहीं होते हैं। आपने जिन विषय की पढ़ाई की है तो उसे बेस्ट ऑफ फोर की सूची में शामिल किया जाता है
अगर आप वोकेशनल विषय शामिल नहीं कर रहे हैं तो बेहतर है। अगर आप उसे बेस्ट ऑफ फोर में शामिल कर रहे हैं तो कुछ कॉलेज उसके नंबर कम कर सकते हैं। ऐसे में इस बात का ध्यान रखें-
अगर कोई विषय जिसे आपने पाठय़क्रम के दौरान पढ़ा है लेकिन जिस विषय में आप दाखिला लेने जा रहे हैं वह उससे संबद्ध नहीं है तो कॉलेज उसे हटा सकता हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आपने इकोनॉमिक्स पढ़ी है और आप चाहते हैं कि ज्योग्राफी में दाखिले के दौरान बेस्ट ऑफ फोर में शामिल किया जाए लेकिन यह कॉलेज पर है कि वह इसे मानें या नहीं। कॉलेज अपनी एडमिशन कमेटी के द्वारा कई डिग्री कोर्स में कुछ विषय छोड़ सकता है। इसलिए दाखिले से पहले कॉलेज की बेवसाइट को जरूर जांच ले।

कंपार्टमेंट

कंपार्टमेंट वाले छात्रों के मन में एक बड़ी समस्या होती है कि उनके बेस्ट ऑफ फोर का आकलन किस तरह किया जाएगा। एक सीधा सा फॉमूर्ला ध्यान रखें कि आपकी जिस विषय में कंपार्टमेंट आई है उसमें पासिंग अंक जोड़ ले। उदाहरण के लिए आपने बारहवीं में इकोनॉमिक्स विषय लिया है तो बेस्ट ऑफ फोर का आकलन करने के लिए आप उसमें 33 अंक जोड़ ले।

किसी विषय में फेल होने पर

अगर कोई छात्र किसी विषय में फेल है तो उस स्थिति में क्या उसे दाखिला मिल सकता है। उदाहरण के तौर पर एक छात्र के बारहवीं में अंग्रेजी, भौतिकी, केमेस्ट्री, इंजीनियरिंग ड्राइंग, फिजिकल एजुकेशन, मैथ में क्रमश: 79,57,50,91,76 और 18 है। वह गणित में अनुत्तीर्ण है। क्या उसे डीयू में दाखिला मिल सकता है। जबकि उसका बेस्ट ऑफ फोर 76 प्रतिशत है। डीयू के कुछ कोर्स में उसे दाखिला मिल सकता है। फिलहाल उसे कॉमन प्री एडमिशन फॉर्म में सभी कोर्स में आवेदन करना चाहिए। साइंस के कोर्स में दाखिला मिलना मुश्किल होगा(हिंदुस्तान,दिल्ली,31.5.2010)।


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एक नज़र दिल्ली विश्वविद्यालय के तीनों नए कोर्स पर

इस बार तीन नये कोर्स दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में शुरू हुए हैं। इनमें पीजी डिप्लोमा के रूप में पहला हैल्थ एंड सोशल जेरन्टोलॉजी और दूसरा एमएससी इंटिग्रेटेड इन अर्थसाइंस है। इसके अलावा पीजी डिप्लोमा के रूप में नैनोटेक्नोलॉजी का कोर्स है। तीनों कोर्स साइंस के छात्रों के लिए हैं और करियर के नए आयाम स्थापित करने में सक्षम हैं। इनमें दाखिले की प्रक्रिया शुरू है।

जेरन्टोलॉजी में पीजी डिप्लोमा

इंस्टीट्यूट ऑफ होम इकोनॉमिक्स अपने यहां पहली बार पीजी डिप्लोमा इन हैल्थ एंड सोशल जेरन्टोलॉजी का कोर्स शुरू किया है। बुजुर्गों की देखभाल एक बड़ी समस्या के रूप उभर कर सामने आ रही है। सामाजिक संरचना में बदलाव के कारण आज महानगरों और बड़े शहरों में ऐसे बुजुर्गों की देखभाल की खासी जरूरत है। इन बुजुर्गों का ख्याल करते हुए ही आज शहरों में रिक्रिएशन सेंटर खोले जा रहे हैं। अस्पताल और आशियाने बनाए जा रहे हैं, जहां इनकी सेहत का ख्याल करते हुए उचित परिवेश दिया जा सके। कोर्स को-ऑर्डिनेटर डॉ. सीमा पुरी के मुताबिक इन जगहों पर ऐसे प्रोफेशनल्स की तलाश रहती है, जो सही तरीके से देखभाल कर सकें। हैल्थ एंड सोशल जेरन्टोलॉजी यानी जराविज्ञान का कोर्स इन जरूरतों के हिसाब से छात्रों को तैयार करेगा। इसमें पूरे साल में दो सेमेस्टर के अंदर छात्रों को दस पेपर पढ़ने होंगे।

दाखिला और करियर

छात्र स्नातक परीक्षा समाजविज्ञान, होम साइंस या साइंस में 50 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण हों। इसके अलावा इस कोर्स में प्रोफेशनल डिग्री धारकों को भी दाखिले का मौका मिलेगा, जिन्होंने फिजियोथेरेपी, ऑक्युपेशनल थेरेपी या नर्सिग में 50 फीसदी अंकों के साथ ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद मेरिट के आधार पर 25 सीटों पर छात्रों को दाखिला दिया जाएगा। कोर्स करने वाले छात्र बुजुर्गों पर कराई जा रही रिसर्च में भाग ले सकते हैं या उनके लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर होने वाले ट्रेनिंग, वेलफेयर प्रोग्राम और सर्विस में काम कर सकते हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के एनजीओ और कम्युनिटी आधारित ऑर्गेनाइजेशन से आप जुड़ सकते हैं।

एमएससी इंटीग्रेटेड इन अर्थ साइंस

नये कोर्स के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय में इस बार स्नातक स्तर पर छात्रों को इंटीग्रेटेड कोर्स में दाखिला पाने का मौका मिलेगा। इस कड़ी में यहां भूगर्भ विभाग में पांच वर्षीय कोर्स एमएससी इंटीग्रेटेड इन अर्थ साइंस शुरू किया गया है। छात्र यहां 12वीं के बाद ही प्रवेश पा सकते हैं। आईआईटी जेईई में बैठने वाले छात्रों को मेरिट के हिसाब से यहां दाखिला दिया जाएगा। इसके बाद भी अगर सीटें बची रहती हैं तो 12वीं बोर्ड परीक्षा में न्यूनतम 70 फीसदी अंक हासिल करने वाले छात्रों को भी मेरिट के आधार पर दाखिला दिया जाएगा। प्रो. दुबे के मुताबिक कोर्स में 25 सीटें हैं। कोर्स पूरा करने पर बीएससी और एमएससी, दोनों डिग्री इसके तहत मिलेंगी। कोर्स में दाखिले की प्रक्रिया जारी है। यह कोर्स मुख्य तौर पर चार पार्ट का कॉम्बीनेशन है, जिसमें जियोलॉजी, मरीन साइंस, जियोफिजिक्स और मौसम विज्ञान है। इसमें छात्रों को पांच साल के अंदर दस सेमेस्टर पास करने होंगे, छह सेमेस्टर स्नातक स्तर पर और चार स्नातकोत्तर स्तर पर।

पीजी डिप्लोमा इन नैनोटेक्नोलॉजी

मैत्रेयी कॉलेज में शुरू हुए इस कोर्स में दाखिला उन्हीं छात्रों को मिलेगा, जो स्नातक साइंस से पास हों और कम से कम 50 फीसदी अंक हों। बीटेक डिग्री धारक छात्र भी इसमें आवेदन कर सकते हैं। जिन लोगों ने स्नातक में आखिरी वर्ष की परीक्षा दी है, वे भी चाहें तो आवेदन कर सकते हैं। दाखिले के लिए एक एप्टीटय़ूड टैस्ट देना होगा। इस कोर्स में 30 सीटें हैं। कॉलेज प्रशासन इस कोर्स में लड़के-लड़कियों, दोनों को पढ़ने का मौका देगा। इच्छुक छात्र कॉलेज की वेबसाइट से फॉर्म डाउनलोड करके आवेदन कर सकते हैं। यह कॉलेज में 21 जून तक पहुंच जाना चाहिए। 30 जून को प्रवेश परीक्षा है(हिंदुस्तान,दिल्ली,25.5.2010)


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दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज,पते,फोन और वेबसाईट

उत्तरी दिल्ली

अदिति महाविद्यालय (वुमन)
औचंदी रोड, बवाना, दिल्ली
फोन : 27752741
www.amv94.org

दौलतराम कॉलेज (वुमन)
यूनिवर्सिटी एन्क्लेव, दिल्ली विश्वविद्यालय
फोन : 27667863
www.daulatramcollege.net

हिन्दू कॉलेज
यूनिवर्सिटी एन्क्लेव, दिल्ली विश्वविद्यालय
फोन : 27667184
www.hinducollege.org

हंसराज कॉलेज
मल्कागंज, यूनिवर्सिटी एन्क्लेव, दिल्ली विश्वविद्यालय
फोन : 27667747
www.hansrajcollege.edu.in

इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वुमन
31, शामनाथ मार्ग, दिल्ली
फोन : 23954085
www.ipcollege.com


किरोड़ीमल कॉलेज
यूनिवर्सिटी एन्क्लेव, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
फोन : 27667861
www.kmcollege.com

मिरांडा हाउस (वुमन)
पटेल चेस्ट मार्ग, दिल्ली विश्वविद्यालय
फोन : 27667367
www.mirandahouse.ac.in

रामजस कॉलेज
यूनिवर्सिटी एन्क्लेव, दिल्ली
विश्वविद्यालय
फोन : 27667706
www.ramjascollege.edu


सेंट स्टीफन्स कॉलेज
यूनिवर्सिटी एन्क्लेव, दिल्ली
विश्वविद्यालय
फोन : 27667271
www.ststephens.edu

श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स
यूनिवर्सिटी एन्क्लेव, दिल्ली
विश्वविद्यालय
फोन : 27666519
www.srcc.edu

श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज
यूनिवर्सिटी एन्क्लेव, दिल्ली
विश्वविद्यालय
फोन : 27667469
www.sgtbkhalsadu.ac.in

स्वामी श्रद्धानन्द कॉलेज
अलीपुर, दिल्ली
फोन : 27206722
www.ssncollege.com

स्कूल ऑफ ओपन लर्निग
5, कैवेलरी लाइन, दिल्ली विश्वविद्यालय
फोन : 27667600
www.sol.du.ac.in


पश्चिमी दिल्ली

भगिनि निवेदिता कॉलेज (वुमन)
केर (नजफगढ़ के पास), नई दिल्ली
फोन : 28017485

दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज
शिवाजी मार्ग, कर्मपुरा, नई दिल्ली
फोन : 25458173
www.dducollege.du.ac.in

भारती कॉलेज (वुमन)
सी-4, जनकपुरी, दिल्ली
फोन : 25547328
www.bharaticollege.com

जानकी देवी मैमोरियल (वुमन)
सर गंगाराम हॉस्पिटल मार्ग, नई दिल्ली
फोन : 25787754
www.jdm.du.ac.in

कालिंदी कॉलेज (महिला)
ईस्ट पटेल नगर, नई दिल्ली
फोन : 25787604
www.kalindi.du.ac.in

भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंस
से.-2, फेज-1, द्वारका, नई दिल्ली
फोन : 25087597
www.bcas.du.ac.in

केशव महाविद्यालय
एच-4-5 जोन, रोड नं. 43, पीतम पुरा, फोन : 27018805
www.keshav.du.ac.in

लक्ष्मीबाई कॉलेज (महिला)
अशोक विहार, फेज-3, दिल्ली
फोन : 27308598
www.lbc.du.ac.in

राजधानी कॉलेज
रिंग रोड, राजा गार्डन, नई दिल्ली
फोन : 25930752
www.rajdhani.du.ac.in

शिवाजी कॉलेज
रिंग रोड, राजा गार्डन, नई दिल्ली
फोन : 25109078
www.shivaji.ac.in

श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज (महिला)
पंजाबी बाग (पश्चिम), रोड नं. 57, नई दिल्ली,
फोन : 25224499
www.spmcollegedu.com

श्री गुरु गोविंद सिंह कॉलेज ऑफ कॉमर्स
टीवी टावर के पास, पीतमपुरा, दिल्ली
फोन : 27321528
www.sggscc.ac.in

श्री गुरु नानक देव खालसा कॉलेज
देवनगर, करोलबाग, नई दिल्ली
फोन : 28729399
www.sgndkc.com

सत्यवती कॉलेज
अशोक विहार, फेज-3, दिल्ली
फोन : 27219570
www.satyawati.du.ac.in

इंदिरा गांधी इंस्टीटय़ूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंसेज
बी ब्लॉक, विकासपुरी, नई दिल्ली
फोन : 25593497
www.igipess.com

धौला कुआं

आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज (एआरएसडी)
धौलाकुआं, नई दिल्ली,
फोन : 24113436
www.arsdcollege.net

दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट एंड कॉमर्स (डीसीएसी)
नेताजी नगर, नई दिल्ली,
फोन : 24109821
www.dcac.du.ac.in

जीसस एंड मेरी कॉलेज (महिला)
चाणक्यपुरी, बापू धाम कॉम्पलेक्स, नई दिल्ली
फोन : 26110041
www.jmcdelhi.com

मैत्रेयी कॉलेज (महिला)
चाणक्यपुरी, बापू धाम कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली
फोन : 24673815
www.maitreyi.du.ac.in

मोतीलाल नेहरू कॉलेज
बेनितो जुरेज मार्ग, नई दिल्ली
फोन : 24112604
www.mlncdu.ac.in

मोतीलाल नेहरू कॉलेज (सांध्य)
बेनितो जुरेज मार्ग, नई दिल्ली
फोन : 24110030
www.mlnce.org

रामलाल आनंद कॉलेज
बेनितो जुरेज मार्ग, नई दिल्ली
फोन : 24112557
www.rlacollege.edu.in

रामलाल आनंद कॉलेज (ईवनिंग)
बेनितो जुरेज मार्ग, नई दिल्ली
फोन : 24110490

श्री वेंकटेश्वर कॉलेज
धौला कुआं, साउथ कैंपस, नई दिल्ली
फोन : 24112196
www.svc.ac.in

दक्षिणी दिल्ली

आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज
गोविंदपुरी, कालकाजी, नई दिल्ली
फोन : 26294542
www.andcollege.du.ac.in

कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज
त्रिवेणी (शेख सराय), फेज-2, नई दिल्ली
फोन : 29258544
www.cvsdu.com

देशबंधु कॉलेज
कालकाजी, नई दिल्ली
फोन : 26439565
www.deshbandhucollege.ac.in

देशबंधु कॉलेज (सांध्य)
कालकाजी, नई दिल्ली,
फोन : 26430192
www.deshbandhuevening.com

दयालसिंह कॉलेज
लोधी रोड, नई दिल्ली
फोन : 24367819
www.dsc.du.ac.in

दयालसिंह कॉलेज (सांध्य)
लोधी रोड, नई दिल्ली,
फोन : 24367658

गार्गी कॉलेज (महिला)
सिरी फोर्ट रोड, नई दिल्ली
फोन : 26494544
www.gargicollege.in

कमला नेहरू कॉलेज (महिला)
अगस्त क्रांति मार्ग, नई दिल्ली
फोन : 26494881
www.kamlanehrucollege.org

लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वुमन
लाजपत नगर, नई दिल्ली
फोन : 26434459
www.lsrcollege.org

पीजीडीएवी कॉलेज
नेहरू नगर, रिंग रोड, नई दिल्ली
फोन : 29832092
www.pgdav.du.ac.in

पीजीडीएवी कॉलेज (सांध्य)
नेहरू नगर, रिंग रोड, नई दिल्ली
फोन : 29845214
www.pgdavevenig.in

श्री अरविंदो कॉलेज
मालवीय नगर, नई दिल्ली
फोन : 26692986

शहीद भगत सिंह कॉलेज
शेख सराय, फेज- 2, नई दिल्ली
फोन : 29250306
www.sbsc.in

शहीद भगत सिंह कॉलेज (सांध्य)
शेख सराय, फेज-2, नई दिल्ली
फोन : 29253430
www.sbsec.org

इंस्टीटय़ूट ऑफ होम इकोनॉमिक्स
एफ-4, हौज खास एन्क्लेव, नई दिल्ली
फोन : 26532402
www.ihe-du.com

दिल्ली इंस्टीटय़ूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंस एंड रिसर्च
पुष्प विहार, से.-3, नई दिल्ली
फोन : 29554327
www.dipsar.in

श्री अरविंदो कॉलेज (सांध्य)
मालवीय नगर, नई दिल्ली
फोन : 26692535
www.aurobindoe.su.ac.in

पूर्वी दिल्ली

डॉ. भीमराव अम्बेडकर कॉलेज
यमुना विहार, दिल्ली
फोन : 22814126
www.brambedkarcollege.org

विवेकानंद कॉलेज (महिला)
विवेक विहार, दिल्ली
फोन : 22150100
www.vivekanandacollege.edu.in

श्यामलाल कॉलेज
जी.टी. रोड, शाहदरा, दिल्ली
फोन : 22324086
www.shyamlal.du.ac.in

श्यामलाल कॉलेज (सांध्य)
जी.टी. रोड ,शाहदरा, दिल्ली
फोन : 22324883
www.shyamlalcollegeeve. com

महाराजा अग्रसेन कॉलेज
पॉकेट-4, मयूर विहार, फेज-1, दिल्ली
फोन : 22714333
www.mac.du.ac.in

शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज
झिलमिल कॉलोनी, विवेक विहार, दिल्ली
फोन : 22154581
www.sscbsdu.ac.in

शहीद राजगुरु कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंसेज फॉर वुमन
झिलमिल कॉलोनी, विवेक विहार, दिल्ली
फोन : 22146024
www.rajgurucollege.org

मध्य दिल्ली

माता सुंदरी कॉलेज फॉर वुमन
माता सुंदरी लेन, नई दिल्ली
फोन : 23237291
www.ms.du.ac.in

जाकिर हुसैन कॉलेज
जवाहरलाल नेहरू मार्ग, नई दिल्ली
फोन : 23233420
www.zakirhusaincollege.in

जाकिर हुसैन कॉलेज (सांध्य)
जवाहरलाल नेहरू मार्ग, नई दिल्ली
फोन : 23231899
www.zhe.du.ac.in

अहिल्याबाई कॉलेज ऑफ नर्सिग
एलएनजेपी हॉस्पिटल कैम्पस,
जवाहरलाल नेहरू मार्ग, नई दिल्ली
फोन : 23231621

लेडी इरविन कॉलेज (महिला)
सिकंदरा रोड, नई दिल्ली
फोन : 23311222
www.ladyirwin.edu.in

पं. दीनदयाल इंस्टीटयूट फॉर द फिजिकली हैन्डीकैप्ड
4, विष्णु दिगंबर मार्ग, नई दिल्ली
फोन : 23233672
www.iphnewdelhi.in

इंस्टीटय़ूशन आउटसाइड इंडिया शेरब्त्से कॉलेज
पीओ-कंगलुंग, भूटान
फोन : 00975-40-535100

(हिंदुस्तान,26.5.2010)


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डाटाबेस से पकड़े जाएंगे फर्जी मेडिकल कालेज

रिश्वत लेकर मेडिकल कालेजों को मान्यता देने का मामला सामने आने के बाद बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने सभी मेडिकल कालेजों का डाटाबेस नए सिरे से तैयार करने का निर्णय लिया है। इसके लिए मेडिकल कालेजों को सकरुलर जारी कर 5 जून तक जानकारी मांगी गई है।

मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया के एक पदाधिकारी द्वारा हाल ही में रिश्वत लेकर मान्यता देने का मामला उजागर हुआ था। इसे देखते हुए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने सभी मेडिकल कालेजों का डाटाबेस तैयार करने का फैसला लिया है। एमसीआई ने देश के सभी 236 मेडिकल कालेजों को सकरुलर जारी कर नए सिरे से कालेजों की सम्पूर्ण जानकारी मांगी है।

सकरुलर में मेडिकल कालेजों के रजिस्ट्रेशन से लेकर अस्पताल व कालेज का क्षेत्रफल, यहां बिस्तरों की संख्या, स्टाफ व डाक्टरों की संख्या, आउटडोर व इनडोर आने वाले मरीजों की संख्या, मरीजों के लिए इलाज व जांच में इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों की संख्या, अपग्रेड मेडिकल प्रोग्राम, अपग्रेड फक्शनल प्रोग्राम सहित 36 बिंदुओं में जवाब भेजने के लिए कहा गया है।

मेडिकल कालेजों से 5 जून की शाम 5 बजे तक चाही गई जानकारियां अनिवार्य रूप से मांगी गई है। इधर, मेडिकल कालेजों का इस तरह का सकरुलर भेजने से कई कालेज प्रबंधन सकते में है। इससे डाटाबेस से रिश्वत देकर मान्यता लेने वाले चिकित्सा शिक्षा संस्थानों का पोल खुलने की उम्मीद है। एमसीआई बोर्ड आफ गवर्नर्स के अधीन काम करता है(दैनिक भास्कर,31.5.2010)।

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पंजाब विश्वविद्यालय में नामांकन में सहयोग पर सीनियर को रोज़ाना 200 रूपए

पंजाब विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए आने वाले नए स्टूडेंट इस बार अपने सीनियर्स को कमाई का मौका देंगे। स्टूडेंट्स को रैगिंग और हिंसा से दूर रखने के लिए पीयू प्रशासन कई कदम उठाने जा रहा है।

इसकी शुरुआत कैम्पस में नए आने वाले स्टूडेंट्स को सही गाइडेंस देने से होगी। और यह गाइडेंस देंगे पीयू के मौजूदा स्टूडेंट। इसके लिए पीयू प्रशासन उन्हें रोजाना 200 रुपये का भुगतान भी करेगा। इस काम के लिए सेशन शुरू होने से पहले सीनियर स्टूडेंट्स से आवेदन मांगे जाएंगे।

करना होगा आवेदन

हर साल कैम्पस में नए स्टूडेंट्स के लिए हेल्प डेस्क लगते हैं। इनमें से ज्यादातर डेस्क छात्र संगठनों की ओर से लगाए जाते हैं। पीयू प्रशासन भी हेल्प डेस्क लगाता है। लेकिन, इस बार टीचरों के साथ-साथ यूनिवर्सिटी के सीनियर स्टूडेंट्स नए मेहमानों की हेल्प के लिए मोर्चा संभालेंगे। इस काम के लिए यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर या पुराने स्टूडेंट्स की मदद ली जाएगी। इच्छुक स्टूडेंट्स के आवेदन आने के बाद चयन किया जाएगा। चुने गए स्टूडेंट्स को हेल्प डेस्क संभालने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। एडमिशन शुरू होते ही यह सीनियर स्टूडेंट टीचरों के साथ हेल्प डेस्क संभालेंगे।

पंजाब यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. आरसी सोबती कहते हैं कि कैम्पस को ‘जीरो टोलरेंस’ बनाने के लिए सीनियर स्टूडेंट्स की मदद लेने जा रही है। इससे सेशन के शुरू में आने वाले नए स्टूडेंट्स को हिंसक घटनाओं या रैगिंग से दूर रहने के बारे में जानकारी दी जाएगी। इन स्टूडेंट्स को फॉर्म भरने से लेकर हॉस्टल लेने तक की जानकारी दी जाएगी(दैनिक भास्कर,31.5.2010 में चंडीगढ़ से अधीर रोहाल की रिपोर्ट)।

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बैंक ऑफ राजस्थान के कर्मचारियों की नौकरी रहेगी सुरक्षित

आईसीआईसीआई बैंक ने बैंक ऑफ राजस्थान (बीओआर) के कर्मचारियों और ग्राहकों को भरोसा दिलाया है कि बीओआर का विलय उनके लिए फायदे का सौदा साबित होगा और उनके साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं होगा, न ही किसी की नौकरी जाएगी।

आईसीआईसीआई बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चंदा कोचर ने बातचीत में यह भरोसा दिलाया कि बीओआर के विलय के बाद उसके कर्मचारी आईसीआईसीआई बैंक के परिवार के सदस्य होंगे। कोचर का यह बयान इस दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि बीओआर की तीन प्रमुख यूनियनों ने इस विलय के खिलाफ 4 और 5 जून को हड़ताल की चेतावनी दी है। इन यूनियनों को आशंका है कि विलय के बाद बीओआर के कर्मचारियों की छंटनी की जा सकती है। माना जा रहा है कि कोचर के इस बयान के बाद बीओआर की यूनियनों का रुख नरम पड़ेगा।

कोचर ने कहा, हम अपने में किसी अन्य बैंक का विलय करते हैं, तो टेक ओवर किए गए बैंक के कर्मचारी हमारे परिवार के सदस्य बन जाते हैं। हम उनके साथ भी उसी तरह का व्यवहार करते हैं, जैसा आईसीआईसीआई बैंक के कर्मचारियों के साथ किया जाता है।

कोचर ने इस आशंका को पूरी तरह खारिज कर दिया कि आईसीआईसीआई में बैंक ऑफ राजस्थान के विलय के बाद उसके कर्मचारियों की छंटनी की जाएगी। उन्होंने कहा कि बीओआर के किसी भी कर्मचारी की छंटनी नहीं होगी(नवभारत टाइम्स,जयपुर,29.5.2010)।

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29 मई 2010

सैन्य भर्तियों पर स्पाई कैम की नजर

सैन्य भर्तियों में दलालों की मिलीभगत के आरोपों को विराम देने के लिए सेना पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी करने जा रही है। अब हर भर्ती में खुफिया कैमरे प्रयोग होंगे। यह भर्ती स्थल की हर गतिविधि पर नजर रखेंगे। वहां ड्यूटी पर तैनात अफसर और सैनिक विशेष साफ्टवेयर से संचालित कैमरों में कैद होगा। पश्चिमी यूपी में हुई थल सेना भर्ती कार्यालय में इसका सफलतापूर्वक ट्रायल हो चुका है। अब इसे देशभर में इस्तेमाल किया जाएगा। सेना की भर्ती प्रक्रिया पर पारदर्शिता न होने के आरोप लगते रहे हैं। कई सैन्य अधिकारी भी दलालों के साथ संबंधों को लेकर विवाद में रहे हैं। ऐसे में सेना भर्ती निदेशालय ने पूरी प्रक्रिया को आनलाइन करते हुए वीडियो रिकार्ड रखने का फैसला लिया। निदेशालय ने तीन माह में पश्चिमी यूपी के जिलों की हुई भर्ती में कैमरा प्रणाली का ट्रायल लिया। इसके परिणाम खरे रहे। एचसीएल के सहयोग से सेना ने हाई रेजुलेशन और कई तरह के लैंस वाले कैमरों वाली साफ्टवेयर संचालित प्रणाली का सफलता पूर्वक कार्य किया(दैनिक जागरण,लखनऊ,29.5.2010)।

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बलिया के नियुक्ति घोटाले पर सख्त हुआ हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने बलिया जिले में माध्यमिक व बेसिक स्कूलों में अध्यापकों, क्लर्को और चपरासियों की कथित फर्जी नियुक्ति की जांच शासन की नवगठित समिति को एक माह में करने का आदेश दिया है। प्रदेश सरकार की आईएएस अधिकारी वृन्दा स्वरूप इस एकल समिति की सदस्य हैं। एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने इसी जिले में एक करोड़ के करीब जीपीएफ के पैसों में हुए घोटाले की भी शीघ्रता से जांच का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने यह आदेश सुशील कुमार पाण्डेय व भीम सिंह द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर दिया है। पाण्डेय की याचिका पर न्यायालय ने कहा है कि वृन्दा स्वरूप की समिति को यह अधिकार होगा कि वह बलिया जिले में अध्यापकों, क्लर्को व चपरासियों की नियुक्तियों में की गई धांधली की विस्तृत जांच करें और आवश्यकता पड़ने पर सचिव स्तर से ऊपर के अधिकारियों को अपनी जांच समिति में सहयोग के लिए शामिल करें(दैनिक जागरण,लखनऊ,29.5.2010)।

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पूर्वांचल विश्वविद्यालय में बीएड की परीक्षा कराने का आदेश

उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय, जौनपुर से संबद्ध बीएड कालेजों के विद्यार्थियों को राहत दी है। पीठ ने सत्र 2006-07 के छात्र-छात्राओं की रुकी हुई सत्रांत परीक्षा कराये जाने के आदेश दिए हैं। पुलेरा स्मारक कालेज जौनपुर सहित अनेक कालेजों के बीएड सत्र 2006-2007 छात्रों की परीक्षाएं, पढ़ाई पूरी होने के बाद भी विश्र्वविद्यालय नहीं करा रहा था। इन कालेजों ने उच्च न्यायालय में परीक्षा कराये जाने की मांग वाली याचिकाएं प्रस्तुत की थी। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रदीप कांत व न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन की खंडपीठ ने दिये(दैनिक जागरण,लखनऊ,29.5)

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उर्दू और अवधी

अवध की शान-उर्दू जुबान पर आयोजित गोष्ठी में अरबी-फारसी विश्र्वविद्यालय के कुलपति अनीस अंसारी ने कहा कि उर्दू और अवध का रिश्ता सदियों पुराना है। इस जुबान ने लोगों को एक धागे में पिरोने का काम किया है। श्री अंसारी राय उमानाथ बली के जयशंकर प्रसाद सभागार में रहबर चैरिटेबिल एंड वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित अवध की शान उर्दू जुबान विषयक गोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि उर्दू हमारी सांझा संस्कृति को बढ़ाने में हमेशा आगे रही। अब उर्दू को आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है। इरफान अहमद सचिव आल इंडिया अल्पसंख्यक फोरम फार डेमोक्रेसी ने कहा कि उर्दू कई जगहों का सफर तय करती हुई अवध पहुंची और यहां की शान बनी। अवध के नवाबों ने इसको काफी बढ़ावा दिया। नयी पीढ़ी को उर्दू से जोड़ने के लिए जरूरी है कि नयी तकनीकी का सहारा लिया जाए। अध्यक्ष माइनारिटी मानीटरिंग एजूकेशन कमेटी डा. साबिरा हबीब ने कहा कि इस जुबान की मिठास हमारे दिलों और दिमाग को ताजा कर देती है।
अवधी संस्कृति का सबसे अच्छा संग्रह आकाशवाणी के पास मौजूद है। चाहे वो पारम्परिक बंदिशें हो रीति रिवाजों से जुड़ी हुई बुर्जुगों की बातें। लखनऊ आकाशवाणी की स्थापना 1938 में हुई। अवधी भाषा को केन्द्र में रखकर ज्यादातर कार्यक्रम ग्रामीण अंचलों के लिए बनाये गए। आकाशवाणी ने अवधी के ठेठ अंदाज में ही कई कार्यक्रमों को बनाकर न सिर्फ गांव के बल्कि शहर के निवासियों को भी दीवाना बना दिया। आकाशवाणी की बताशा बुआ, बहरे बाबा, भानमती का पिटारा, घर आंगन, जगराना लौटीं, किसानों के लिए, लोकायतन ऐसे कार्यक्रम हैं जिनमें अवधी मिट्टी की सोंधी खुशबू साफ झलकती है। आकाशवाणी पर सुबह सात बजकर पांच मिनट पर आने वाली रामचरित मानस की धुन आज तक लोंगों के जहन में रची बसी है। आकाशवाणी ने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से खेती से संबधित कटाई गीत, बुआई गीत, खेत खलिहान में फसलों के मड़ाई के समय गाये जाने वाले गीत, चक्की पिसाई के समय गाये जाने वाले गीतों को संरक्षित कर रखा है। संस्कार गीतों के अंतर्गत जन्म से लेकर मृत्यु तक होने वाले सभी संस्कारों जैसे सोहर, मुण्डन संस्कार, जनेऊ, द्वारचार संस्कार, कन्यादान, विदाई, गीतों समेत कई संस्कारों के अवसर पर अवसरों पर गाये जाने वालीं दुर्लभ बंदिशे मौजूद हैं जो अवधी क्षेत्रों से लगभग खत्म सी हो गई हैं। अवध की खास विधा है नकटा, जिसमें होने वाली छेड़छाड़, टिप्पणी, मजाक के तरीकों में हास्य भी है साथ ही युवतियों के लिए शिक्षा भी। त्यौहारों की बात करें तो अवध की कजरी, ठुमरी, धमार होली, फाग, चैती के अलावा अवध का बारहमासा, चौमासा का भी उम्दा संग्रह है। केन्द्र निदेशक एआर बनर्जी बताते हैं कि अवधी के संरक्षण के लिए आकाशवाणी हमेशा से प्रयत्‍‌न शील रहा है। आज भी यहां से अवधी पर कई कार्यक्रमों का प्रसारण हो रहा है। यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा, बशर्ते सभी का साथ मिले(दैनिक जागरण,लखनऊ,29.5.2010)।

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यूपी में पीजीएमई काउंसिलिंग शुरू

विवादों में घिरी उप्र पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस की काउंसिलिंग कल दोबारा नये सिरे से शुरू हुई। बीती 11 व 12 अप्रैल को हुई पहली काउंसिलिंग के बाद मेडिकल कालेजों में दाखिला ले चुके अभ्यर्थियों ने एक बार फिर काउंसिलिंग में हिस्सा लिया और शांतिपूर्वक सीटें लॉक कीं। हालांकि एक दिन पहले तक काउंसिलिंग के दौरान हंगामे की आशंका जतायी जा रही थी, क्योंकि गुरुवार को अभ्यर्थियों ने दोबारा काउंसिलिंग कराये जाने का विरोध किया था। शुक्रवार को पहली से 500वीं रैंक तक के अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया था। शनिवार को 501 से आगे की रैंक के अभ्यर्थियों को बुलाया जाएगा। रीफण्ड होगी फीस शुक्रवार को काउंसिलिंग में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर अभ्यर्थी ऐसे थे, जो प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कालेजों में दाखिला ले चुके हैं। जाहिर है उनकी फीस भी जमा हो चुकी है। चिकित्सा शिक्षा के महानिदेशक डा.सौदान सिंह ने बताया कि दोबारा काउंसिलिंग के साथ ही अभ्यर्थियों की फीस कालेजों में स्थानांतरित कराने की व्यवस्था की जा रही है। चूंकि छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विवि की फीस दूसरे कालेजों की अपेक्षा ज्यादा है, ऐसे में सीसीएमएमयू के बाद अब दूसरी जगह दाखिला पाने वालों की अतिरिक्त फीस अभ्यर्थियों को वापस कर दी जाएगी(दैनिक जागरण,लखनऊ,29.5.2010)।

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इग्नू की सेमेस्टर परीक्षाएं 1 जून से

इन्दिरा गांधी मुक्त विश्र्वविद्यालय की सेमेस्टर परीक्षाएं 1 जून से शुरू हो रही हैं। 28 जून तक चलने वाली इन परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों को प्रवेश-पत्र भेज दिये गए हैं। जिन अभ्यर्थियों को प्रवेश-पत्र न मिला हो, वे संस्थान की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। परीक्षा के लिए कुल 753 परीक्षा केन्द्र बनाए हैं। बीसीए तथा एमसीए की प्रयोगात्मक परीक्षा जून के अन्तिम सप्ताह में आयोजित होगी। इसके लिए अलग से प्रवेश-पत्र जारी होंगे। किसी भी प्रकार की असुविधा होने पर परीक्षार्थी इग्नू के क्षेत्रीय कार्यलय पर सम्पर्क कर सकते हैं।
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दिल्ली में करियर मेला आज से

सीबीएसई के १२वीं कक्षा के नतीजे घोषित हो चुके हैं। अब छात्र अपने करियर को लेकर माथापच्ची कर रहे हैं। छात्रों की इस मुश्किल को आसान करने के लिए २९ और ३० मई को दिल्ली के प्रगति मैदान में ८वीं इन्फ्रा एजुका प्रदर्शनी २०१० आयोजित की जा रही है। दो दिवसीय यह प्रदर्शनी छात्रों के लिए करियर विकल्पों की भरमार लेकर आ रही है। एफईपीएल द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी में छात्रों को इंजीनियरिंग, प्रबंधन, एनीमेशन, अतिथि-सत्कार आदि विषयों में अपना करियर बनाने और इनके बारे में जानने का मौका मिलेगा।

इसके अलावा छात्रों को मीडिया में १२० से अधिक शैक्षिक संस्थानों से मुलाकात करने और दिल्ली के विभिन्न कॉलेजों की दाखिला टीमों के सदस्यों के साथ विचार-विमर्श करने का अवसर प्राप्त होगा। जो छात्र भारतीय वायुसेना और नौसेना में अपना करियर बनाना चाहते हैं उनके लिए यह प्रदर्शनी एक बेहतर अवसर लेकर आ रही है। वायुसेना और नौसेना के बारे में इस प्रदर्शनी में छात्रों को सभी प्रकार की जानकारी इन विषयों के विशेषज्ञ प्रदान करेंगे।

साथ ही प्रदर्शनी में सेंटर फॉर करियर डेवलपमेंट के निदेशक जतिन चावला छात्रों को मुफ्त करियर परामर्श देंगे। प्रदर्शनी में विभिन्न विषयों के जानकार भी मौजूद रहेंगे जो छात्रों की परेशानियों को दूर करने में उनकी मद्द करेंगे। प्रदर्शनी में वर्ल्ड कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैजेजमेंट, द्रोणाचार्य कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बीएमपीटीसी, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, भू-विज्ञान मंत्रालय आदि विभिन्न संस्थान हिस्सा लेंगे। इसके अलावा प्रदर्शनी में १२० से अधिक प्रदर्शकों और पचास हजार युवाओं के पहुंचने की संभावना है। यह प्रदर्शनी निश्चित तौर से छात्रों को उनके करियर की बेहतर शुरुआत करने में उपयोगी साबित होगी।
(नई दुनिया,दिल्ली,27.5.2010)

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28 मई 2010

केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देना बना गले की फांस

राज्य विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने का फैसला अब केंद्र सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है। इन विश्वविद्यालयों में हर रोज नए विवाद, पुराने ढांचे को बदलने की अनिच्छा और बैक डोर से नियुक्तियां आदि के चलते पैदा होने वाले संकट को देखकर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में यह विचार चल रहा है कि इससे बेहतर तो यही रहता कि नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों की ही स्थापना कर ली जाती।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने पिछले साल १५ केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना की घोषणा की थी, जिनमें से तीन राज्य विश्वविद्यालयों का दर्जा बढ़ाकर उन्हें केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था। इससे पहले अलग-अलग चरणों में कई विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाया गया था। आज स्थिति यह है कि पिछले साल जिन तीन राज्य विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया, उनके समेत पहले के संस्थान भी किसी न किसी विवाद में फंसे हुए हैं। पिछले साल मध्य प्रदेश के सागर जिले के हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास विश्वविद्यालय और उत्तराखंड के हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय को दर्जा तो केंद्रीय विश्वविद्यालय का मिल गया, लेकिन उनके प्रशासन से लेकर पाठ्यक्रम में तब्दीली की रफ्तार बहुत धीमी है।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र के सख्त निर्देशों के बावजूद इनमें बैक डोर से नियुक्तियां की गईं। ऐसा तब हुआ जब केंद्र ने इन विश्वविद्यालयों को दर्जा बढ़ाने की सूचना के साथ ही यह नोटिस भी भेज दिया था कि बिना विज्ञापित किए तथा घोषित चयन प्रक्रिया अपनाए कोई भी नियुक्ति इनके लिए अमान्य होगी। अधिकारी का कहना है कि मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ से ये शिकायतें मंत्रालय के पास आई हैं कि गलत तरीके से नियुक्तियां की गई हैं। इसी तरह से पाठ्यक्रम और ढांचागत परिवर्तन के लिए संस्थान के प्रमुख तैयार नहीं हो रहे हैं।

इसके चलते इन केंद्रीय विश्वविद्यालयों का कामकाज सही ढंग से शुरू ही नहीं हो पा रहा है। कई वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इन संस्थानों में नए कुलपति को बैठाने भर से समस्या हल नहीं हो जाएगी। ऐसा अरुणाचल प्रदेश के मामले में देखा जा चुका है जहां केसी बलियप्पा को कुलपति बनाने के बाद से विवाद ठंडा नहीं पड़ा। अधिकारियों का मानना है कि इसके पीछे कहीं स्थानीय ठेकेदारों, विश्वविद्यालय के स्थानीय अधिकारियों और नेताओं का गठजोड़ शामिल है जो निर्माण कार्य के ठेके को हासिल करना चाहते हैं। ठेके की यह समस्या कमोबेश हर उस विश्वविद्यालय में आ रही है जिन्हें केंद्रीय बनाया गया है(नई दुनिया,दिल्ली,26.5.2010 में भाषा सिंह की रिपोर्ट)।

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मध्यप्रदेश में कॉलेज में 7.70 लाख छात्रों को मिलेगा प्रवेश

स्वर्णिम मध्यप्रदेश के लिए विधानसभा द्वारा पारित संकल्प-2010 के तहत मध्य प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में 18 से 23 आयु वर्ग के विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाकर 7 लाख 70 हजार किए जाने का लक्ष्य है। इससे सकल नामांकन दर वर्तमान 12.5 से बढ़ कर 15.5 प्रतिशत हो जाएगी।

सूत्रों के मुताबिक, इस बारे में उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने तकनीकी शिक्षा, कृषि तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग को उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तैयार की गयी संक्षिप्त कार्ययोजना भेजी है। उनसे अनुरोध किया गया है कि वे भी इस संबंध में अपनी कार्ययोजना तैयार कर शीघ्र भेजें, ताकि एक कार्ययोजना इसी अकादमिक सत्र से शुरू की जा सके।

सकल नामांकन दर बढ़ाने की प्रस्तावित कार्ययोजना के अनुसार वर्ष 2010-11 तक नामांकन संख्या 6 लाख 90 हजार, वर्ष 2010-11 तक 7 लाख 30 हजार तथा वर्ष 2012-13 तक 7 लाख 70 हजार की जानी है। वर्ष 2009-10 में प्रदेश के महाविद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या 6 लाख 50 हजार और सकल नामांकन दर 12.5 प्रतिशत है(नवभारत टाइम्स,भोपाल,26 मई,2010)

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राजस्थान में प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए आर्थिक सहायता

राजस्थान सरकार ने विशेष पिछड़ा वर्ग के युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराए जाने के लिए देवनारायण योजनान्तर्गत अनुप्रति-योजना को संचालित करने के नियम जारी किए हैं। सरकार ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अनुप्रति योजना के एक समान नियम बनाए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट भाषण में राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवा परीक्षा के लिए 50 हजार रुपए तथा अखिल भारतीय परीक्षाओं के लिए एक लाख रुपए की सहायता राशि पिछड़े वर्ग के युवाओं को भी उपलब्ध कराने की घोषणा की थी।

अधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि नियमों के तहत राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवा (सीधी भर्ती) संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के लिए युवाओं को तीन किस्तों में सहायता राशि स्वीकृत की जाएगी। प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर 25 हजार रुपए, मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर 20 हजार रुपए और साक्षात्कार में उत्तीर्ण (अंतिम रूप में चयन) होने पर पांच हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में शामिल युवाओं को प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर 65 हजार रुपए, मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर 30 हजार रुपए तथा साक्षात्कार में उत्तीर्ण होने पर पांच हजार रुपए दिए जाएंगे(नवभारत टाइम्स,जयपुर,26 मई,2010)

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गुजरात में सरकारी भर्ती का रास्ता खुला

गुजरात में 25 साल बाद सरकारी महकमे में भर्ती खुलने का रास्ता साफ हो गया है। दरअसल, राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों में रिक्त हुए पदों तथा हर साल कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने के चलते कर्मचारियों की पेश आ रही तंगी से निपटने के लिए नई भर्ती करने की कवायद शुरू की है।

इसी क्रम में सरकारी भर्ती पर 25 साल से लगे प्रतिबंध को हटाने का फैसला किया है। सामान्य प्रशासनिक विभाग ने सभी विभागों को रिक्त पद और सेवानिवृत्ति के चलते अगले पांच वर्ष में रिक्त होने वाले पदों का ब्योरा भेजने को कहा है।

एक मोटे अनुमान के अनुसार राज्य में हर वित्त वर्ष में 13 से 15 हजार पद रिक्त होंगे। कारण, हर साल इसी प्रमाण में कर्मचारी-अधिकारी सेवामुक्त होने वाले हैं। पिछले काफी समय से सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर नियुक्तियों की मांग की जा रही थी।

नई भर्ती के लिए वित्त मंत्री वजूभाई वाला की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय उप-समिति गठित की गई है। उप-समिति नई भर्ती प्रक्रिया के संबंध में सरकार को सुझाव देगी। साथ ही कराधान वर्ष 2009-10 से 2016-17 की अवधि में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों-अधिकारियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए काम करेगी।

समिति मौजूदा भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा एवं सरकारी विभागों में भर्ती हेतु वित्त विभाग से आवश्यक स्वीकृति प्राप्त करने की प्रथा पर विचार करेगी। इसके अलावा समिति को शिक्षा, स्वास्थ्य एवं गृहविभाग के कामकाज की समीक्षा करने को भी कहा गया है।
(दैनिक भास्कर,गुजरात संस्करण,28 मई,2010)

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अल्पसंख्यक स्कालर्स को मिलेंगे 12 हजार प्रतिमाह

केन्द्र सरकार ने एमफिल व पीएचडी करने वाले अल्पसंख्यक शोधार्थियों को फेलोशिप देने की घोषणा की है। इसके अन्तर्गत 12 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे। इस योजना का लाभ मौलाना अबुल कलाम आजाद नेशनल फेलोशिप प्रोग्राम के तहत चयनित छात्र-छात्राओं को मिलेगा।

इसके आवेदन फार्म अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की वेबसाइट www.minoritywelfare.nic.in से डाउनलोड किए जा सकते हैं। इसमें मुस्लिम समुदाय के लिए 112 सीटे, बौद्ध और सिख समाज के लिए 3-3 सीटें हैं। प्रदेश से कुल 120 शोधार्थियों को इस योजना के लिए चुना जाएगा। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी राजा सिंह ने बताया कि इसमें दो साल की एमफिल और पीएचडी करने वालों को पांच साल तक फेलोशिप मिलती रहेगी।

सरकार चाहती है कि रुपयों के अभाव में किसी शोध की गुणवत्ता खराब न हो। इस फेलोशिप की सहायता से शोधार्थी अपना शोध अच्छी तरह से पूरा कर सकेंगे, क्योंकि देखा जाता है कि अक्सर धनाभाव के कारण प्रतिभाएं उभरने से पहले ही दब जाती हैं।

फेलोशिप की पात्रता के लिए पूरी चयन प्रकिया होगी। उसे पास करने के बाद ही फेलोशिप दी जाएगी। श्री सिंह ने बताया कि इससे संबंधित अधिक जानकारी विभाग की वेब साइट से हासिल की जा सकती है। पात्र छात्र-छात्राएं जिला अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के क्षेत्रीय कार्यालय से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं(दैनिक भास्कर,28.5.2010 में कानपुर से अतुल प्रताप सिंह की रिपोर्ट)।

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पंजाब में रेग्युलर परीक्षा देने की अनुमति मिली

पंजाब के उन सभी स्कूलों को शिक्षा बोर्ड ने राहत प्रदान की है, जिन्होंने अभी तक बोर्ड से संबंद्धता नहीं ली थी। यानि कि इन स्कूलों के बच्चे अब प्राइवेट की जगह रेगुलर परीक्षा दे सकेंगे।

इस फैसले से प्रदेश के लगभग 150 स्कूलों के बच्चों को इसका सीधा फायदा पहुंचेगा। इसका फैसला सेकेंडरी एजुकेशन निदेशालय ने लिया है। इन स्कूलों को विभाग ने संजीवनी बूटी सुंघाई है, लेकिन जो स्कूल इस बार असफल हो गए तो उन्हें बोर्ड की तरफ से आक्सीजन देना मुश्किल हो जाएगा।

पिछले वर्षो 2008-09 तथा 2009-10 जो स्कूल बोर्ड से संबंद्धता प्राप्त नहीं कर सके थे। उन्हें बोर्ड ने राहत प्रदान की है। निदेशालय ने कहा कि 10 अप्रैल 2007 से पूर्व जिन स्कूलों ने फार्म नंबर दो पर आवेदन किया था। उन सभी स्कूलों को अस्थाई संबंद्धता जारी हो सकेगी।

ताकि इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे पहले की तरह से रेगुलर परीक्षा दे सकें, लेकिन इन स्कूलों को अंतिम बार आक्सीजन देने का निर्णय लिया गया है, लेकिन इन स्कूलों को वह आवदेन बोर्ड को सौंपने होंगे, जिसके लिए उन्होंने पहले आवेदन किया था।

ऐसे स्कूलों को अपने आवेदन सात जून तक देने होंगे। निदेशालय ने आदेश जारी किए हैं कि ऐसे स्कूलों को भविष्य में ऐसी एक्सटेंशन नहीं दी जाएगी। बोर्ड ने ऐसे स्कूलों की तिथि बढ़ाने का भी निर्णय लिया है, जिनके पास संबंद्धता नहीं थी।

दिया अंतिम मौका

जिन्होंने संबंद्धता के लिए एप्लाई नहीं किया उन्हें निदेशालय ने अंतिम मौका दिया है। ताकि इन स्कूलों के विद्यार्थी परीक्षा दे सकें। इसके लिए अंतिम तिथि 7 जून रखी गई है।ज्‍ज
शेखर विद्यार्थी, सचिव, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, हरियाणा।

फैसले से स्कूलों को होगा फायदा

फेडरेशन आफ अनरिकोग्नाइज्ड स्कूल हरियाणा के प्रधान कुलभूषण शर्मा ने कहा कि इस फैसले के बाद उन स्कूलों को फायदा पहुंचेगा, जिन्हें बोर्ड से संबंद्धता नहीं मिली थी। उन्होंने बताया कि इस फैसले से प्रदेश के हजारों विद्यार्थियों को लाभ पहुंचेगा। वे अब रेगुलर दाखिला के साथ परीक्षा में बैठ सकेंगे।
(दैनिक भास्कर,हरियाणा संस्करण,28.5.2010 में अंबाला से उज्ज्वल शर्मा की रिपोर्ट)

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राजस्थान के शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम के अनुसार प्रशिक्षित किया जाएगा

राजस्थान के शिक्षकों को सैकण्डरी कक्षाओं में जैव अभियांत्रिकी पढाने की चुनौती का सामना करना पडेगा। जबकि उन्होंने अपने छात्र जीवन में अमीबा-हाइड्रा के पाठ पढे थे। जो विषय उन्होंने स्नातक कक्षाओं में भी नहीं पढे थे, वे अब कक्षा नौ व दस में पढाने होंगे। ऎसी स्थिति विज्ञान में ही नहीं अंग्रेजी, गणित और सामाजिक में भी है। इस परेशानी का कारण शिक्षकों का पाठ्यक्रम के अनुरूप अपडेट नहीं होना है।

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) में सत्र 2010-11 में 26 हजार शिक्षकों को उनके विषय की अद्यतन जानकारी के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए हर जिले के बजट में अलग से व्यवस्था की गई है। प्रशिक्षण में कंटेंट, मैथोडोलॉजी और नवाचार को शामिल किया जाएगा। राज्य में सीबीएसई पाठ्यक्रम लागू करने की तैयारी के बीच ऎसा प्रशिक्षण अनिवार्य हो गया है। हालांकि पहले चरण में जल्दबाजी में प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
(राजस्थान पत्रिका,27 मई,2010)

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डीयू का बी.कॉम कोर्स

डीयू से बीकॉम ऑनर्स करना अच्छी जॉब की गारंटी बन गया है। यह कोर्स कर चुके स्टूडेंट बड़ी कंपनियों में सीईओ की पोस्ट तक पहुंच रहे हैं और लीडर के तौर पर काम कर रहे हैं। यूनिवसिर्टी का यह कोर्स स्टूडेंट्स में लीडरशिप की क्वॉलिटी डिवेलप करता है और इस कोर्स से वे मैनेजमेंट, माकेर्टिंग के गुर भी सीखते हैं।

कॉलेजों के प्रिंसिपलों का कहना है कि कॉरपोरेट वर्ल्ड में अब बीकॉम ऑनर्स करने वाले स्टूडेंट्स की काफी डिमांड है और ये स्टूडेंट्स यह कोर्स करने के बाद एमबीए करते हैं। खास बात यह है कि स्टूडेंट्स की सोच में बदलाव आया है और हाई पैकेज उन्हें कॉरपोरेट वर्ल्ड की ओर खींच रहा है।

श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्रिंसिपल डॉ. पी. सी. जैन बताते हैं कि पहले 70 से 80 पर्सेंट स्टूडेंट्स बीकॉम ऑनर्स करने के बाद सीए करना पसंद करते थे, लेकिन अब इस ट्रेंड में बदलाव आया है। अब काफी स्टूडेंट्स कॉरपोरेट र्वल्ड में जाना चाहते हैं और इसके लिए ग्रैजुएशन के बाद एमबीए और मैनेजमेंट के दूसरे टॉप कोर्स करना पसंद करते हैं। जैन के मुताबिक एसआरसीसी के काफी स्टूडेंट्स नामी कंपनियों को चला रहे हैं क्योंकि इस कोर्स के दौरान उन्हें मैनेजमेंट की ट्रेनिंग भी दी जाती है, प्रोजेक्ट भी करने को मिलते हैं।

खास बात यह है कि बीकॉम ऑनर्स के स्टूडेंट्स सिविल सविर्सेज में भी कामयाबी पाते हैं, एनजीओ में भी काम करते हैं, बैंकिंग व इंश्योरेंस सेक्टर में भी उनकी डिमांड है। इसके अलावा गवर्नमेंट जॉब में भी ये स्टूडेंट्स काफी संख्या में हैं, लेकिन कॉरपोरेट र्वल्ड में सैलरी पैकेज काफी हाई है और स्टूडेंट्स अब उस दिशा में जाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। बीकॉम कोसेर्ज में इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी और कंप्यूटर एजुकेशन पर खास फोकस हो गया है। ये कोर्स अब पूरी तरह से माकेर्ट ओरिएंटेड बन चुके हैं और कॉमर्स ही नहीं, बल्कि साइंस और आर्ट स्ट्रीम के स्टूडेंट भी इसमें अप्लाई करते हैं।

करियर ऑप्शन

बीकॉम के बाद रेवेन्यू सविर्सेज में करियर बनाया जा सकता है। फाइनैंस और माकेर्टिंग भी स्टूडेंट्स की टॉप चॉइस में रहते हैं। स्टूडेंट्स इनकम टैक्स, कस्टम, एक्साइज, सेल्स टैक्स और वैट जैसी फील्ड में करियर बनाते हैं। बैंकिंग, सीए, सीएस, कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंसी, चार्टर्ड फाइनेंशल एनालिस्ट, फाइनैंस, इंश्योरेंस, मैनेजमेंट की फील्ड में भी एंट्री आसान हो जाती है। बीकॉम ऑनर्स करने के बाद स्टूडेंट्स एमबीए भी करते हैं और उन्हें एमबीए करने के दौरान बीकॉम ऑनर्स कोर्स की पढ़ाई से काफी मदद मिलती है। इंटरनैशनल बिजनेस करने वाली कंपनियों में भी इन स्टूडेंट्स की काफी डिमांड रहती है।

बीकॉम ऑनर्स का सिलेबस

बिजनेस मैथमेटिक्स, कॉरपोरेट लॉ, बिजनेस ऑर्गनाइजेशन एंड मैनेजमेंट, फाइनैंशल अकाउंटिंग, बिजनेस कम्यूनिकेशन, पॉलिटिक्स, एथिक्स एंड सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी ऑफ बिजनेस, कॉरपोरेट अकाउंटिंग, कॉस्ट अकाउंटिंग, माइक्रोइकनॉमिक्स थ्योरी एंड ऐप्लिकेशन, बिजनेस स्टैटिक्स, बिजनेस लॉ, इंट्रोडक्शन टु कंप्यूटर एंड इन्फमेर्टिक्स सिस्टम, इनकम टैक्स एंड प्रैक्टिस, इंडियन इकॉनमी - परफॉर्मेंस एंड पॉलिसीज, प्रोजेक्ट वर्क, फाइनेंशल मैनेजमेंट, ई-कॉमर्स, ऑडिटिंग, फंडामेंटल ऑफ इनवेस्टमेंट, माकेर्टिंग एंड इंटरनैशनल बिजनेस, हिंदी, पॉलिटिकल साइंस, मैनेजमेंट अकाउंटिंग, मैक्रो-इकनॉमिक्स

बीकॉम का सिलेबस

फाइनेंशल अकाउंटिंग, बिजनेस एंड इंडस्ट्रियल लॉ, बिजनेस, मैथमेटिक्स एंड स्टैटिक्स, कॉरपोरेट अकाउंटिंग, कंपनी एंड कंपनेशन लॉ, इकनॉमिक्स, कॉस्ट अकाउंटिंग, कंप्यूटर ऐप्लीकेशन, इनकम टैक्स एंड ऑडिटिंग, ह्यूमैनटीज के पेपर, बिजनेस ऑर्गनाइजेशन एंड मैनेजमेंट।
(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,27.5.2010 में भूपेंद्र की रिपोर्ट)

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डीयू में साइंस में नया कोर्स

डीयू में साइंस के ऑनर्स कोर्सस में एडमिशन ले रहे स्टूडंट्स को नया कोर्स पढ़ने को मिलेगा। डीयू ने ऑनर्स समेत साइंस के 12 कोर्सस में सेमेस्टर वाइज सिलेबस लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। अब यह भी साफ हो गया है कि इस साल सिर्फ साइंस के इन कोर्सस में ही सेमेस्टर लागू होगा। जहां तक कॉमर्स में सेमेस्टर की बात है तो यूनिवर्सिटी ने इस पर अभी फैसला टाल दिया है, यानी इस साल कॉमर्स में स्टूडेंट्स को एनुअल सिस्टम ही फॉलो करना होगा। वाइस चांसलर प्रोफेसर दीपक पेंटल का कहना है कि साइंस के मेन कोसेर्ज में सेमेस्टर लागू हो गया है और कॉमर्स में सेमेस्टर अगले साल लागू हो सकेगा। अब समय कम बचा है और एडमिशन प्रोसेस शुरू होने वाला है, ऐसे में कॉमर्स में सेमेस्टर को लेकर यूनिवसिर्टी अगले साल तैयारी करेगी।

खास बात यह है कि सेमेस्टर को लेकर डीयू टीचर्स असोसिएशन (डूटा) कड़ा विरोध कर रहा है। 13 मई को ऐकडेमिक काउंसिल की मीटिंग में वीसी ने साइंस कोसेर्ज के सेमेस्टर वाइज सिलेबस को मंजूरी दी तो मेंबर्स काउंसिल हॉल में ही धरने पर बैठ गए। यह धरना चार दिन चला और उसके बाद टीचर्स और वीसी के बीच मीटिंग भी हुई। डूटा साइंस कोसेर्ज में भी सेमेस्टर को लेकर कड़ा विरोध कर रही है, लेकिन यूनिवसिर्टी ने सभी कॉलेजों के प्रिंसिपलों को लेटर भेजकर साइंस कोसेर्ज में सेमेस्टर लागू करने के फैसले के बारे में बता दिया है।

यूनिवर्सिटी ने एक और अहम फैसला करते हुए बीएससी अप्लाइड फिजिकल साइंस - इलेक्ट्रॉनिक्स और बीएससी अप्लाइड फिजिकल साइंसेज - कंप्यूटर साइंस को बीएससी (प्रोग्राम) फिजिकल साइंसेज के सेमेस्टर वाइज कोर्स के साथ मर्ज कर दिया है। मर्ज किए गए दोनों कोसेर्ज की सीटें बीएससी (प्रोग्राम) फिजिकल साइंसेज कोर्स में ट्रांसफर हो जाएंगी। यूनिवसिर्टी ने कॉलेजों से कहा है कि साइंस कोसेर्ज में इन बदलावों के बारे में स्टूडेंट्स को बताया जाए और मेन नोटिस बोर्ड और कॉलेज की वेबसाइट पर भी इस बारे में सूचना जारी की जाए।

यूनिवर्सिटी बीएससी केमिकल साइंस का नया कोर्स भी शुरू करना चाहती थी और इसका सेमेस्टर वाइज सिलेबस भी लाया गया था लेकिन इस कोर्स का नया सिलेबस फिलहाल टाल दिया गया है। इस साल डीयू में जहां साइंस में सेमेस्टर लागू होगा और दूसरे सब्जेक्ट में स्टूडेंट्स को एनुअल एग्जामिनेशन सिस्टम ही फॉलो करना पड़ेगा। हालांकि सेमेस्टर और एनुअल दोनों तरह के सिस्टम में ऐकडेमिक कैलंडर एक जैसा ही होगा। फर्स्ट सेमेस्टर एग्जाम के दौरान इन कोर्स के स्टूडेंट्स का मिड टर्म एग्जाम होगा। इसके अलावा इस साल सेकंड और थर्ड ईयर में पहुंचने वाले स्टूडेंट्स को भी र्फस्ट सेमेस्टर एग्जाम के दौरान मिड टर्म एग्जाम देना होगा। इस बार पीजी और अंडरग्रैजुएट लेवल पर ऐकडेमिक कैलंडर एक जैसा ही होगा।

इन कोसेर्ज में होगा सेमेस्टर

बीएससी (ऑनर्स) - फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉटनी, जूऑलजी, जियॉलजी, एंथ्रोपोलोजी, बायो-केमिस्ट्री, माइक्रोबायोलोजी, बायो-मेडिकल साइंसेज, नर्सिंग

बीएससी (प्रोग्राम) - फिजिकल साइंसेज, लाइफ साइंसेज

सेमेस्टर सिस्टम का कैलंडर

सेमेस्टर-1

क्लास शुरू होंगी : 21 जुलाई 2010

मिड सेमेस्टर बेक : 4 अक्टूबर से 14 अक्टूबर

क्लास दोबारा शुरू होंगी : 15 अक्टूबर से 19 नवंबर

प्रिपरेशन लीव और एग्जाम : 20 नवंबर से 10 दिसंबर

रिजल्ट : 11 दिसंबर से 10 जनवरी के बीच

विंटर बेक : 11 दिसंबर से 2 जनवरी

सेमेस्टर-2

क्लास लगेंगी : 3 जनवरी से 16 अप्रैल 2011

प्रिपरेशन लीव और एग्जाम : 18 अप्रैल से 20 मई

रिजल्ट : 21 मई से 20 जून के बीच

समर वेकेशन : 21 मई से 20 जुलाई
(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,28.5.2010)

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हिसार कृषि विश्वविद्यालय में आवेदकों की संख्या बढ़ी

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय,हिसार में स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विभिन्न डिग्री पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए इस वर्ष गत वर्षो के मुकाबले सर्वाधिक आवदेन-पत्र प्राप्त हुए हैं। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. आर.एस. दलाल ने गुरुवार को बताया गत वर्ष स्नातक स्तरीय पाठ्य क्रमों के लिए 2729 आवदेन पत्र प्राप्त हुए थे जो इस वर्ष बढ़ कर करीब साढ़े चार हजार तक पहुंच गए हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में जारी विभिन्नास्नातक स्तरीय पाठ्यक्रमों में इस वर्ष दाखिला लेने वालों में कृषि पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए सबसे अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। जबकि बीएससी कृषि की 150 सीटों के लिए गत वर्ष के 971 आवदेन पत्रों के मुकाबले इस वर्ष 2636 आवदेन पत्र प्राप्त हुए हैं। डा. दलाल ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने शिक्षा पाठ्य क्रमों का नवीनीकरण कर उन्हें कृषि और ग्रामीण क्षेत्र की वैश्विक चुनौतियों से निपटने के सक्षम बनाया है(नई दुनिया,दिल्ली,28.5.2010)।

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जानिए-सीबीएसई की ग्रेडिंग प्रणाली को

सन् 1962 में सीबीएसई के बनने के बाद आज पहला मौका है, जब दसवीं के छात्रों को अंक के बजाए ग्रेड मिले हैं। छात्रों को मार्कशीट की जगह ग्रेड शीट मिलेगी। न कोई होगा टॉपर और न कोई फेल। कंपार्टमेंट आने के भी झंझट से बच्चों को मिलेगी मुक्ति। बस ई-1 और ई-2 ग्रेड वालों को ऊपर के ग्रेड लाने के दो मौके प्रदान किए जाएंगे।बारहवीं के नतीजों के मुकाबले इस बार दसवीं के नतीजों में कम उत्साह नजर आ रहा है। इसकी मुख्य वजह ग्रेडिंग प्रणाली से जारी होने जा रहे नतीजे हैं। जहां औसत छात्रों को ग्रेडिंग प्रणाली का लाभ होगा, वहीं मेरिट छात्रों को इसका नुकसान भी होगा। इस बार देशभर में दसवीं और बारहवीं के १६ लाख विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी। दसवीं कक्षा की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों की संख्या ९०२५१७ थी। दसवीं बोर्ड में इस बार ८१० विकलांग छात्रों ने हिस्सा लिया। अगली कक्षा में जाने के लिए छात्र को कम से कम डी ग्रेड लाना ही पड़ेगा।

दसवीं कक्षा में ए, बी, सी, डी के इस नए गणित में ई ग्रेड पाने वाले छात्र को दोबारा परीक्षा की कसौटी से गुजरना होगा। दसवीं में तय इस सिस्टम में ई ग्रेड ४० से कम प्रतिशत पाने वाले छात्रों के लिए है। मतलब इन छात्रों को अगली कक्षा में बैठने की अनुमति नहीं होगी और इन्हें योग्यता प्रमाण पत्र भी नहीं दिया जाएगा। एक ओर हिसाब किताब अंकों वाला ही है। मतलब पास प्रतिशत नहीं पाने वाले छात्र को दोबारा परीक्षा देनी होगी।

ई १ और ई २ ग्रेड पाने वाले छात्रों को पांच प्रयासों से अपने प्रदर्शन में सुधार दिखाना होगा तभी उन्हें अगली कक्षा के लिए योग्यता प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इसके अलावा जिन छात्रों ने अतिरिक्त विषय लिया हुआ है, उन्हें डी ग्रेड लाने के साथ ही अतिरिक्त विषय को भी पास करना जरूरी होगा। अगले प्रयासों में शामिल होने के लिए छात्र को पंजीकरण कराना जरूरी होगा। पंजीकरण न कराने की स्थिति में छात्र को परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा।

* ९१ से १०० प्रतिशत : ए १

* ८१ से ९० प्रतिशत : ए २

* ७१ से ८० प्रतिशत : बी १

* ६१ से ७० प्रतिशत : बी २

* ५१ से ६० प्रतिशत : सी १

* ४१ से ५० प्रतिशत : सी २

* ३३ से ४० प्रतिशत : डी

* २१ से ३२ प्रतिशतः ई १

* २० व इससे कम प्रतिशत : ई २

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हिमाचल में निजी स्कूलों में शिक्षा बोर्ड की पुस्तकें लागू न करने पर मान्यता रद्द होगी

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. सीएल गुप्ता ने कहा है कि निजी स्कूल प्रबंधक अपने स्कूलों में, 15 जून से पहले हिमाचल शिक्षा बोर्ड की पाठ्यपुस्तकें लगाना सुनिश्चित करें, अन्यथा उनकी संबद्धता रद्द की जाएगी।
कल बोर्ड सभागार में जिला कांगड़ा के निजी स्कूल प्रबंधकों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए गुप्ता ने कहा कि पिछले वर्ष के शैक्षणिक सत्र में बोर्ड द्वारा प्रकाशित 90 फीसदी पुस्तकें सरकारी स्कूलों को सप्लाई की गई, ऐसे में निजी स्कूलों में स्टूडेंट्स को कौन-सी किताबें पढ़ाई जा रही थी, यह स्पष्ट हो जाता है, लेकिन भविष्य में ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। बोर्ड से संबद्धता प्राप्त निजी स्कूलों को अब 8 वर्ष का संबद्धता कार्यकाल पूर्ण करने वाले निजी स्कूलों को सीबीएसई से संबद्धता प्राप्त करने के लिए एनओसी जारी किया जाएगा। एनओसी के नाम पर अभिभावकों को भ्रमित करने वाले स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ बोर्ड कार्रवाई करेगा। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्रावधान है कि ऐसे स्कूलों के पहली बार पकड़े जाने पर एक लाख रुपए जुर्माना और दूसरी 10 हजार रुपए प्रतिदिन जुर्माना वसूला जाएगा(दैनिक ट्रिब्यून,28 मई,2010,हिमाचल संस्करण)।

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सीबीएसईः10वीं की परीक्षा में भी लड़कियों का प्रदर्शन बेहतर

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं कक्षा की परीक्षा में लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ दिया है और परीक्षा में लड़कों की तुलना में 2.38 प्रतिशत अधिक लड़कियां सफल रही। परीक्षा में पास करने वाले छात्रों के प्रतिशत में इस साल 0.44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

सीबीएसई की प्रवक्ता रमा शर्मा ने कहा कि शिक्षा में सुधार और बच्चों को परीक्षा परिणाम के तनाव से मुक्त बनाने की मानव संसाधन विकास मंत्रालय की कवायद के तहत इस साल 10वीं बोर्ड परीक्षा में विशेष रिपोर्ट कार्ड दिया जा रहा है, जिसमें अंक प्रतिशत के स्थान पर ग्रेड और सीजीपीए अंक दर्ज हैं।

इस साल 10वीं कक्षा में छात्रों का पास प्रतिशत 89.28 रहा, जबकि पिछले वर्ष 88.84 प्रतिशत बच्चों सफल रहे थे। 10वीं कक्षा की परीक्षा में लड़कियों का पास प्रतिशत लड़कों से 2.38 प्रतिशत बेहतर रहा। कक्षा 10वीं की परीक्षा में कुल 9,02,747 पंजीकृत छात्रों में 89.28 प्रतिशत छात्र परीक्षा में सफल रहे। इस साल 10वीं बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले छात्रों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में 9.5 प्रतिशत की वद्धि दर्ज की गई है। इस परीक्षा में चेन्नई क्षेत्र का प्रदर्शन अन्य सभी क्षेत्रों की तुलना में बेहतर रहा और इस क्षेत्र से परीक्षा में बैठने वाले छात्रों में 96.18 प्रतिशत सफल रहे।

12वीं बोर्ड परीक्षा में इस साल भी सरकारी स्कूलों के छात्रों का प्रदर्शन अच्छा रहा । इस वर्ष सरकारी स्कूलों के छात्रों का पास प्रतिशत 83.01 प्रतिशत दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष 80.08 प्रतिशत रहा था। इसी प्रकार जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्रों का प्रदर्शन भी बेहतर हुआ जो पिछले वर्ष के 97.84 पास प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष 98.54 प्रतिशत दर्ज किया गया।

सरकारी स्कूलों में दिल्ली क्षेत्र के छात्रों का प्रदर्शन भी बेहतर हुआ। यह पिछले वर्ष के 78.16 पास प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 80.65 प्रतिशत दर्ज किया गया।

केंद्रीय विद्यालय के छात्रों के प्रदर्शन में इस साल मामूली वृद्धि दर्ज की गई जो पिछले वर्ष के 96.35 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष बढ़कर 96.87 प्रतिशत रही। इसी प्रकार स्वतंत्र स्कूलों, केंद्रीय तिब्बती स्कूलों के छात्रों के प्रदर्शन में मामूली वृद्धि दर्ज की गई। यह पिछले वर्ष 92.77 पास प्रतिशत की तुलना में बढ़कर इस वर्ष 93.37 प्रतिशत दर्ज की गई है।

इस वर्ष पूरक परीक्षा की श्रेणी में 94,364 छात्र रखे गए, जो परीक्षा में बैठने वाले कुल छात्रों का 10.65 प्रतिशत हैं, जबकि पिछले वर्ष 75,249 छात्रों को पूरक परीक्षा की श्रेणी में रखा गया था। सीबीएसई 10वीं बोर्ड परीक्षा में इस साल दिल्ली क्षेत्र से 88.15 प्रतिशत लड़के सफल रहे, जबकि लड़कियों का पास प्रतिशत 90.05 प्रतिशत दर्ज किया गया। इस क्षेत्र से परीक्षा में बैठने वाले छात्रों में 89.04 प्रतिशत छात्र सफल रहे।

दसवीं कक्षा की परीक्षा में इस साल 90.64 प्रतिशत नियमित छात्र सफल रहे, जबकि पिछले वर्ष 90.07 प्रतिशत नियमित छात्र उत्तीर्ण हुए थे। जबकि निजी या पत्राचार के माध्यम से परीक्षा देने वाले छात्रों का पास प्रतिशत घटकर 35.55 प्रतिशत रह गया जो पिछले वर्ष 40.97 प्रतिशत रहा था।

सीबीएसई के एक अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष से 10वीं बोर्ड परीक्षा परिणाम के लिए ग्रेडिंग की व्यवस्था अपनायी गई है तथा डी और उससे उपर ग्रेड प्राप्त करने वाले छात्रों को पास होने का प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि परीक्षा में डी या उससे उपर ग्रेड प्राप्त करने वाले छात्र 11वीं कक्षा में नामांकन के योग्य होंगे। सभी छात्रों को प्रदर्शन पत्र दिया जाएगा, जिसमें ग्रेड, ग्रेड प्वायंट और समग्र ग्रेड प्वायंट औसत (सीजीपीए) दर्ज रहेगा।
(हिंदुस्तान लाइव,दिल्ली,28.5.2010)

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सीबीएसई की 10वीं का रिजल्टः साइट न खुल रही हो तो इन नम्बरों को आजमाएँ

इंटरेक्टिव वायस रिस्पांस सिस्टमः

दिल्ली के लिए-2435727
दूसरे राज्यों के लिए-(011)24357270
एमटीएनएलः28127030
आईडिया-55456068
बीएसएनएल-1255536(दिल्ली से बाहर के लिए)
एयरसेल-555099
वीडियोकॉन-5303052
टाटा इंडीकॉम-54321223
एयरटेल-54321202
वोडाफोन-56735
रिलायंस-56583

एसएमएस से रिजल्ट जानने के लिए रोल नम्बर टाइप कर भेजें-

एमटीएनएल-52001
बीएसएनएल-57766
एयरसेल-5800002
आईडिया-55456068
वीडियोकॉन-50000
टाटा इंडीकॉम-582821 और 54321
एयरटेल-54321202
रिलायंस-56506

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सीबीएसई 10वीं का परिणाम टाटा इंडीकॉम मोबाईल पर

सीबीएसई की दसवीं की परीक्षा का परिणाम आ गया है। टाटा इँडीकॉम मोबाईल धारक छात्र अपने मोबाईल पर ही परिणाम अँक समेत देख सकते हैं। इसके लिए मोबाईल के मीनू में जाएँ जहां आपको टाटा जोन का ऑप्शन दिखाई देगा। टाटा जोन में पहले टॉप सेलिंग और फिर एक्जाम रिजल्ट विकल्प पर जाएं और एप्लीकेशन डाउनलोड करें। दिखाए गए परिणामों में से सीबीएसई कक्षा 10वीं के लिंक पर क्लिक करें तथा अपना रोल नम्बर टाइप करें। इसके बाद सबमिट बटन दबाते ही आपको परीक्षा परिणाम मिल जाएगा। शुभकामनाएँ।

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डीयू में आज से एडमिशन शुरू। कुछ बुनियादी जानकारियों पर एक बार और नज़र डाल लें

दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले का मेला आज से शुरू हो रहा है। विभिन्न कॉलेजों में दाखिले के लिए दो सप्ताह तक यानी ११ जून तक फार्म भरे जाएंगे। डेढ लाख छात्रों व अभिभावकों के बीच फार्मों की बिक्री के लिए प्रशासन ने १६ सेंटर बनाए हैं और करीब इतने ही कॉमन एडमिशन फार्म भी छपवाएं गए हैं। ये फार्म ५० रूपये में मिलेंगे।

फार्मों की बिक्री १० बजे से शुरू होकर १ बजे तक होगी। इसी दौरान फार्म जमा भी किए जा सकेंगे। कॉमन एडमिशन फार्म के जरिए एक छात्र विभिन्न कॉलेजों के विभिन्न कोर्सों में आवेदन कर सकता है। जिन कोर्सों में प्रवेश परीक्षा है वहां छात्रों को संबंधित कॉलेज में जाकर अलग से फार्म भरना होगा। सामान्य और ओबीसी वर्ग के छात्रों के लिए एक ही काउंटर बनाए गये हैं। एससी, एसटी के लिए अलग रजिस्ट्रेशन सेंटर पर बनाए गये हैं। विकलांग के लिए भी नार्थ कैंपस में रजिस्ट्रेशन सेंटर बनाया गया है।

दिल्ली यातायात पुलिस ने अभिभावकों और छात्रों को जाम से बचने के लिए पब्लिक ट्रासपोर्ट का इस्तेमाल करने की सलाह दी है।

डीन स्टुडेंट वेलफेयर प्रो एसके विज ने बताया कि प्रशासन सभी जगहों पर फार्म बिक्री के लिए आवश्यक इंतजाम किए हैं। कर्मचारियों को इसके लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया गया है। छात्रों की परेशानी दूर करने के लिए काउंसलरों को भी तैनात किया गया है। भी़ड़भा़ड़ से बचने के लिए सलाह दी गई है कि छात्र पहले दिन फार्म भरने आने से बचें। कई सेंटर मेट्रो रूट पर हैं जिनमें नार्थ कैंपस के सभी सेंटर, श्यामलाल कॉलेज, अग्रसेन कॉलेज और जाकिर हुसैन कॉलेज शामिल हैं।

रेगुलर में दाखिले का कार्यक्रम

२८ मई से ११ जून तक

पहली कट ऑफ सूची - २२ जून

दूसरी कट ऑफ सूची - २६ जून

तीसरी कट ऑफ सूची - १ जुलाई

चौथी कट ऑफ सूची - ६ जुलाई

अंग्रेजी ऑनर्स के लिए

१७ कॉलेजों में अंग्रेजी आनर्स में दाखिले के लिए केट का आयोजन हो रहा है। प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्रों को एसबीआई बैंक से रजिस्ट्रार, दिल्ली विश्वविद्यालय के नाम तीन सौ रूपये का ड्राफ्ट बनवाकर ले जाना होगा। इसके बाद ही इसके फार्म मिलेंगे जिसे १७ कॉलेजों में बने सेंटर पर जमा कराना होगा। अन्य कॉलेजों में अंग्रेजी ऑनर्स में दाखिले के लिए कॉमन एडमिशन फार्म के जरिए आवेदन करना होगा।

एसओएल में दाखिला

१ जून से २९ अक्तूबर तक

नॉन कॉलेजियट वूमेंस बोर्ड में दाखिला

८ ५ जून से १८ जून तक

८ ५ जून और १२ जून से बोर्ड के शनिवार वाले सेंटर पर और ६ और १३ जून को रविवार वाले सेंटर पर फार्म मिलेंगे। ७ जून से सभी कार्यदिवस पर बोर्ड के मुख्य कार्यालय पर फार्मों की बिक्री होगी।

इन कोर्सेज में अलग से फार्म भरें

बीए म्यूजिक, बीए फ्रेंच, जर्मन, स्पैनिश, इटैलियन, बीए हिन्दी पत्रकारिता, अंग्रेजी पत्रकारिता, बीए सोशल वर्क, बीएलएड , बीएचएमएस, बीफार्मा, बीएससी फिजिकल एजुकेशन, बीएससी नर्सिंग, फिजियोथेरेपी, बीएफए और बीएससी नर्सिंग।

एससी-एसटी के लिए

इन छात्रों को चार सेंटरों में किसी एक पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन कराते वक्त सभी आवश्यक दस्तावेज व फोटो भी ले जाना होगा। अपने नाम से बना जाति प्रमाणपत्र जरूरी है।

* डीएसडब्लू ऑफिस, नार्थ कैंपस

* राजधानी कॉलेज, राजा गार्डन

* श्यामलाल कॉलेज, शाहदरा

* डीएसडब्लू ऑफिस, साउथ कैंपस

ओबीसी छात्रों के लिए

इस कैटेगरी के छात्रों को सामान्य वर्ग को मिलने वाला कॉमन एडमिशन फार्म ही भरना होगा। उसमें ओबीसी के कॉलम में गोला भरना होगा। यह फार्म कॉलेज में जाएगा जहां छात्रों को ओबीसी की सीटों पर कट ऑफ के मुताबिक दाखिला मिलेगा। उनके लिए कॉलेज में २७ फीसदी सीटें आरक्षित हैं।

विकलांग छात्र

इस कैटेगरी के छात्रों को नार्थ कैंपस के डीन स्टुटेंड वेलफेयर कार्यालय में अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। वहां आवश्यक दस्तावेज और प्रमाणपत्र के साथ पहुंचना है। दाखिला फार्म भरवाने में मदद के लिए काउंसलर तैनात किए गये हैं।

फार्म बिक्री के केंद्र

1.डी एस डब्ल्यू कार्यालय,नॉर्थ कैंपस

2.किरो़ड़ीमल कॉलेज, नार्थ कैंपस

3. फैकल्टी ऑफ आर्ट्स, नार्थ कैंपस

4. श्रद्धानंद कॉलेज, अलीपुर

5. डीएसडब्लू कार्यालय, साउथ कैंपस

6. देशबंधु कॉलेज, कालकाजी

7. एआरएसडी कॉलेज, धौलाकुआं

8. गार्गी कॉलेज, सीरीफोर्ट रोड

9. पीजीडीएवी कॉलेज, नेहヒ नगर

10. सीवीएस, शेख सराय

11. श्यामलाल कॉलेज, शाहदरा

12. विवेकानंद कॉलेज, विवेक विहार

13. अग्रसेन कॉलेज, मयूर विहार फेज-१

14. राजधानी कॉलेज, राजा गार्डन

15. श्यामाप्रसाद मुखर्जी कॉलेज, पंजाबी बाग

16. जाकिर हुसैन कॉलेज, कमला मार्केट
(नई दुनिया,दिल्ली,27.5.2010)

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27 मई 2010

यूपी बोर्ड की बारहवीं का रिजल्ट यहां देखें

उत्तरप्रदेश में इँटरमीडिएट बोर्ड की बारहवीं का नतीजा अभी-अभी घोषित हुआ है। यहां भी लड़कियों ने बाज़ी मारी है। कुल 80.54 फीसदी छात्र-छात्राओं को सफलता मिली है। लड़कियों की सफलता का प्रतिशत 89.62 रहा है जबकि लड़कों का 73.55 प्रतिशत।
रिजल्ट देखने के लिए क्लिक करें- लिंक-1 लिंक-2

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निराशा के क्षणों में......

निराश होकर लौटती लोमड़ी भले ही अंगूरों को खट्टे कहती रही हो, लेकिन आशावादी मनुष्य के लिए अंगूर कभी खट्टे नहीं रहे। आशा व निराशा को लेकर मनुष्य और पशुओं में शुरू से ही यह एक बड़ा अंतर रहा है। विकासक्रम में पशु निराश होकर बैठते या लौटते रहे, पर मनुष्य आगे बढ़ता रहा। उसकी इसी आशा व पुरुषार्थ का परिणाम है कि आज मनुष्य सभी प्राणियों को अपने वश में करने की ताकत रखता है। मनुष्य के सामने जब भी बड़ी से बड़ी मुसीबत आई, उसने उनका डटकर मुकाबला किया। असफलताओं से निराश हुआ तो निराशा में भी आशा खोज ली और सफलता के शिखर तक जा पहुंचा। अर्जुन के रूप में जब मनुष्य कुरुक्षेत्र की रणभूमि में कर्तव्य से विमुख हताश-निराश होकर बैठ गया तो श्रीकृष्ण सरीखे सारथी से कर्म की प्रेरणा पाकर निराशा त्याग गांडीव संभाला और "कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन...।" की राह पर चलकर शुत्रओं का नाश करते हुए पुनः अपना कर्तव्य निभाने लगा। सफलता की राह पर ले जाने वाला एक मात्र साधन "कर्म" ही है। कर्म करते चलिए, इच्छा शक्ति पैदा करिए। मन का ध्यान समस्याओं से हटकर अपने आप ही सकारात्मकता की ओर जाने लगेगा।

सकारात्मक चिंतन और आशावादीता पर किए गए वैज्ञानिकों के कई शोधों में साबित हो चुका है कि आशा की पतवार थामे आप अपनी जिंदगी में खुशहाली ला सकते हैं। अगर आप हर वक्त अपनी किसी असफलता की निराशा में ही डूबे रहेंगे तो भविष्य में भी सफलता के रास्ते बंद होने लगेंगे। इसलिए हमेशा आशावान रहिए। मन में विश्वास रखिए कि जिंदगी में जो बुरा होना था वह तो हो गया, अब तो बस अच्छा ही अच्छा होगा। जब भी आप ऐसा सोचने लगेंगे आपकी आधी चिंता तो यूं ही खत्म हो जाएगी। आशा की किरणें पड़ते ही निराशा व कुंठा का अंधकार मन से हटने लगता है और सफलता की सीढ़ी नजर आने लगती है। इसलिए निराश या दुखी करने वाली चीजों अथवा परिस्थितियों को कोसना छोड़कर इनके सकारात्मक पहलू पर भी ध्यान दें। जीवन में विषमताएं आती ही हैं हमारी सहन शक्ति की परीक्षा लेने के लिए। जैसे आग में तप कर सोना कुंदन बनता है, वैसे ही विषमताओं की पत्थरी से कर्म की धार तेज होती है। दुनिया में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो कभी निराशा न हुआ हो। अतः निराशाओं से बिना डरे अपने कर्तव्य का निष्ठा के साथ पालन करते रहें। सफलता-असफलता तो बाद की चीजें हैं। याद रखें कि "गिरते हैं शह सवार ही मैदान ए जंग में।" यानी गिरना कोई बड़ी असफलता नहीं है। कम से कम आपने प्रयास तो किया ही। हां, गिरकर न उठना-संभलना असफलता है।

जो गया, सो गया। उसे तो कोई नहीं लौटा सकता, लेकिन अपना वर्तमान और भविष्य तो उज्जवल किया ही जा सकता है। याद रखें कि दुख-सुख जीवन के अहम हिस्से हैं और सभी की जिंदगी में आते हैं। जीवन में केवल सुख ही सुख हो तो भी कुछ दिनों बाद जीवन में निरसता आने लगेगी। अगर आपको मिठाई खाना पसंद है तो भी आप हर वक्त केवल मिठाई तो नहीं खा सकते, क्योंकि कुछ दिनों बाद यह हालत हो जाएगी कि आप मिठाई के नाम से भी चिढ़ने लगेंगे। इसलिए जीवन में कुछ "नमकीन" या "तीखा" भी चाहिए होता है।

अपने प्रेरणा स्रोत बनाएं

जीवन में किसी भी बाधा या मुश्किल से निपटन के लिए एक बहुत अच्छा तरीका यह है कि आप अपने लिए कोई "प्रेरणा स्रोत" खोज लें। यह स्रोत किसी व्यक्ति का जीवन या आशीर्वाद, धर्म ग्रंथ का मंत्र, महापुरुष का कोई कथन, किसी व्यक्ति का चेहरा या चित्र, कोई कविता, भगवान की मूर्ति आदि कुछ भी हो सकता है। अवसाद, निराशा या किसी घोर संकट की घड़ी में इनमें से कोई एक भी आपकी बहुत मदद कर सकता है। केवल एक शब्द, पंक्ति या ख्याल से ही आपमें नई उमंग-तरंग का संचार हो सकता है। ऐसी न जाने कितनी ही चमत्कारी घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें कोई व्यक्ति केवल इसलिए मौत के मुंह से लौट आया, क्योंकि संकट की उस घड़ी में भी उसने हिम्मत नहीं हारी। जब भी हिम्मत टूटने लगी उसे अपने किसी प्रिय या देवता की याद आ गई और वह फिर से नए जोश के साथ उस मुसीबत से तब तक लड़ता रहा, जब तक जीतकर सकुशल नहीं बच गया। बहुत से लोगों को पर्वत उठाए उड़ते हनुमान या सुदर्शन चक्र उठाए विष्णु भगवान के चित्र इस तरह की प्रेरणा देते हैं। कुछ लोगों के लिए "जय मां भवानी", "जय मां काली" , "हर-हर महादेव" "या अली" आदि जैसे शब्द नई ऊर्जा का काम करते हैं, तो कुछ लोगों के लिए अपने वरिष्ठ या घनिष्ठ का दिया हुआ कोई उपहार यह काम कर देता है। अगर आप भी अपने जीवन पर ध्यान दें तो ऐसी कोई न कोई प्रेरक "ढाल" या "हथियार" जरूर पा जाएंगे जिसकी मदद से किसी भी बाधा से लड़ना बहुत आसान हो जाएगा।

गीत-संगीत का भी होता है असर

गीत-संगीत का हमारे मन-मस्तिष्क और शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अब तो इस बात को मनोविशेषज्ञ भी मानने लगे हैं कि हम जैसा गीत-संगीत सुनते हैं हमारा मन भी उसी के अनुरूप ढलने लगता है। अकसर देखा जाता है कि जब किसी का मन दुखी होता है, तो उसे दर्दभरे फिल्मी गीत-संगीत सुनना व गुनगुनाना "सुहाने" लगता है। लेकिन मनोविज्ञान के हिसाब से यह गलत होता है, क्योंकि पहले से ही अवसाद अथवा निराशा में घिरे व्यक्ति के मन में इस तरह के गीत-संगीत से निराशा के बादल और ज्यादा काले-गहरे होने लगते हैं। इसके अलावा जिस कारण से निराशा होती है वह बात भी दिलो-दिमाग पर और ज्यादा हावी होनी लगती है। निराश व्यक्ति ऐसे गीतों के किरदारों या शब्दों में अपनी ही जिंदगी देखने लगता है इसलिए ऐसे लोगों के परिजनों और शुभंिचंतकों को चाहिए कि इस तरह के गीत-संगीत से उन्हें यथासंभव बचाया जाए।

इसके उलट, मन में जोश व आशा जगाने वाले गीत-संगीत से न केवल मन ही खुश रहता है, बल्कि उत्साह से नया काम करने और हर मुश्किल से लड़ने की भी प्रेरणा मिलती है।
जीवन में जब कभी आपके मन पर निराशा की छाया पड़ने लगे, तो तुरंत उन क्षणों को याद करने की कोशिश करें जब आपने कोई बहुत बड़ा काम किया था या कोई बड़ी उपलब्धि प्राप्त की थी, किस तरह लोगों ने आपकी प्रशंसा की और आपको किसी नायक की तरह सराहा! हर व्यक्ति के जीवन में ऐसे क्षण भी होते हैं जिन्हें वह जिंदगी के सुनहरे पल मानता है। ऐसे पलों को याद करने से मन-मस्तिष्क का बोझ एक हद तक कम हो जाता है और मुसीबत से लड़ने में मदद मिलती है। फिर भी अगर को संशय रह जाए, तो नए रास्ते तलाश करें।

निराशा के समय खाली बैठकर मन पर ज्यादा बोझ पड़ता है इसलिए अपने को किसी न किसी काम में लगाए रखें। हर रोज सुबह के समय व्यायाम करने की आदत डाल लें। इससे न केवल शरीर, बल्कि मन भी मजबूत होता है। सीखने की प्रक्रिया निरंतर बनाएं रखें। अच्छा साहित्य पढ़ें; कविता, कहानी या लेख आदि लिखते रहें। किसी खेल के लिए अभ्यास शुरू कर दें या स्वीमिंग, बागवानी वगैरह में वक्त बिताएं। ऐसे लोगों के साथ ज्यादा समय रहें जिनसे आपको ताजगी व ऊर्जा मिलती हो (राजीव शर्मा,मेट्रो रंग,नई दुनिया,दिल्ली,27.5.2010)

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सुपर-30 की सुपर सफलता

टाइम पत्रिका द्वारा "बेस्ट आफ एशिया" के खिताब से नवाजे गए कोचिंग संस्थान सुपर-३० को फिर सुपर सफलता मिली है। शत प्रतिशत सफलता हासिल करते हुए इस संस्थान के सभी ३० छात्रों ने आईआईटी का संयुक्त प्रवेश परीक्षा में बाजी मार ली। परिणाम से उत्साहित संचालक गणितज्ञ आनंद कुमार ने संस्थान को सुपर-६० में बदलने का ऐलान कर दिया है। इस संस्थान को पिछले साल भी शत प्रतिशत सफलता मिली थी। आनंद के प्रयासों को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पहले ही सराहना मिल चुकी है और वे प्रधानमंत्री के बुलावे पर उनसे मिल चुके हैं। दूसरी और कोचिंग को व्यवसाय बनाने वाले पटना के कोचिंग संस्थानों के दावे खोखले साबित हुए हैं।

अगर पटना के सभी कोचिंग संस्थानों के दावों को जो़ड़ दिया जाए बिहार से सफल छात्रों की संख्या ७०० को पार कर जाती है जबकि पूरे गुवाहाटी जोन से सिर्फ ५७६ छात्र सफल हुए हैं और बिहार भी इसी जोन का हिस्सा है। आईआईटी परीक्षा के परिणाम आने पर कोचिंग संस्थानों की ओर से सफल छात्रों के लंबे चौ़ड़े दावे किए जाने लगे। एक्सिस क्लासेज नामक संस्थान ने ९६ छात्रों के सफल होने का दावा कर डाला मगर मांगने पर सूची पेश नहीं कर सके। एक संस्थान ने बिहार के टॉपर समीर सिंह को अपने संस्थान का छात्र घोषित कर दिया जबकि समीर की मां रश्मि अग्रवाल ने कहा कि समीर ने बिहार के किसी कोचिंग संस्थान से शिक्षा नहीं ली। वह कोटा में प़ढ़ा है। समीर के दो और भाइयों अंशुल और अंकित को भी सफलता मिली।

सुपर-३० के संचालक आनंद कुमार ने इस बार पिछ़ड़ी जाति के अधिक छात्रों को संस्थान में लिया था और वे सभी सफल हुए। इस संस्थान के बूते अब बिहार आईआईटी छात्रों को ग़ढ़ने की फैक्ट्री बन चुका है। दो साल में संस्थान ने आईआईटी को ६० छात्र दिए हैं।

सुपर-३० के संचालक आनंद कुमार ने कॉलेज के दिनों में ही रामानुजम स्कूल आफ मैथेमेटिक्स की स्थापना की थी। लेकिन बाद में धन के अभाव में वे कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्रस्ताव आने के बाद भी वहां नहीं जा सके। इस चोट ने उन्हें प्रेरणा दी और उन्होंने गरीब छात्रों को आईआईटी भेजने का संकल्प लिया। वे जांच से छात्रों का चयन करते हैं और खुद उन्हें प़ढ़ाते हैं। मामूली फीस ली जाती है जिसे गरीब छात्र वहन कर सकें। अति गरीब छात्रों से वे पैसे नहीं लेते और भोजन और आवास की व्यवस्था अपनी ओर से कर देते हैं। उनके भाई वायलिन वादक प्रणव कुमार ने उनकी टीम को ज्वाइन कर लिया। बिहार के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अभयानंद भी पहले उनके साथ थे लेकिन बाद में अलग हो गए। संस्थान ने छह साल में १३० गरीब छात्रों को आईआईटी में सफलता दिलाई है।
(नई दुनिया,दिल्ली,27.5.2010 में पटना से राघवेन्द्र नारायण मिश्र की रिपोर्ट)

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आईआईटी की ऑनलाइन काउँसिलिंग शुरू

ऑल इंडिया इंजीनियरिंग संयुक्त प्रवेश परीक्षा २०१० में इस बार १३१०४ परीक्षार्थियों ने कामयाबी हासिल की है। बुधवार को घोषित नतीजों में मद्रास के अनुमुला जितेंद्र रेड्डी देशभर में अव्वल रहे हैं। दिल्ली जोन से सहल कौशिक ने टॉप किया है। रूड़की जोन के टॉपर हिमांशु गुप्ता ने देश में तीसरा रैंक हासिल किया है। खास बात यह है कि हिंदी माध्यम में पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुणा अधिक परीक्षार्थियों ने प्रवेश परीक्षा पास की है। पहली बार आईआईटी ऑनलाइन काउंसलिंग कर रहा है जो कि २७ मई से शुरू होकर ९ जून तक चलेगी।

प्रवेश परीक्षा पास करने वाले सभी छात्र १५ आईआईटी सहित आईएसएम धनबाद और आईटी बीएचयू में प्रवेश पाने के योग्य हैं। पिछले साल की तुलना में इस बार हिंदी माध्यम के परीक्षार्थियों के नतीजे बेहतर रहे। पिछले वर्ष १८४ हिंदी माध्यम के परीक्षार्थियों ने परीक्षा पास की थी, वहीं इस वर्ष संख्या ब़ढ़कर ५५४ हो गई है। आईआईटी परीक्षा बोर्ड के अनुसार इस परीक्षा में हिंदी प्रश्नपत्र में हुई गलतियों के लिए सुधारात्मक उपाय घोषित किए गए। इससे किए गए मूल्यांकन से किसी भी छात्र के प्राप्तांक में ग़ड़ब़ड़ी नहीं हुई है।

११ अप्रैल को हुई प्रवेश परीक्षा में इस बार १३.३ फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया। प्रवेश परीक्षा में बैठे करीब पांच लाख परीक्षार्थियों में १३१०४ ही सफल हुए हैं। परीक्षा का आयोजन सात जोन में हुआ था। इसमें से सबसे अधिक सफल छात्र मुंबई जोन से निकले हैं। मुंबई से पास होने वाले छात्रों की संख्या ३१४५ है। वहीं मद्रास से २६१९, दिल्ली से २२६४, आईआईटी खड्गपुर से १४८१, आईआईटी कानपुर से १३४१, आईआईटी ヒ़ड़की से १३०५ और गुवाहाटी से ५२१ परीक्षार्थी सफल हुए हैं। इस बार परीक्षा में १.१३ लाख ल़ड़कियां शामिल हुई थी जिसमें १४७६ ल़ड़कियां प्रवेश परीक्षा को पास कर पाई हैं। इस परीक्षा में २३५७ ओबीसी परीक्षार्थी परीक्षा में सफल रहे। इसके साथ ही एससी परीर्थियों की संख्या १७७३, एसटी की ५१७ और विकलांग छात्र की संख्या १७४ रही। आईआईटी में पहली सीट की आवंटन की घोषणा २८ जून को होगी, दूसरी सीट १४ जुलाई तक दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष ३८४९९७ परीक्षार्थियों ने प्रवेश परीक्षा में हिस्सा लिया था, इसमें १००३५ परीक्षार्थियों को विभिन्न कॉलेजों में दाखिला मिला था।

ऑल इंडिया टॉपर : अनुमुला जितेंद्र रेड्डी, चेन्नई

दिल्ली जोन टॉपर : सहल कौशिक

मुंबई जोन टॉपर : ओमकार प्रसाद

कानपुर जोन टॉपर : राज द्विवेदी

ख़ड़गपुर जोन टॉपर : विपुल सिंह

गुवाहाटी जोन टॉपर : साकेत कुमार

रुड़की जोन टॉपर : हिमांशु गुप्ता

२०१० में परीक्षार्थियों की संख्या : ४ लाख ७२ हजार

सफल परीक्षार्थी : १३१०४

२००९ में प्रवेश परीथार्थियों की संख्या : ३८४९९७

सफल परीक्षार्थी : १००३५
(नई दुनिया,दिल्ली,27.5.2010)

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